Saturday 3 January 2015

//// अरे भाई अब लफ़्फ़ाज़ी छोड़ कुछ काम भी तो करो - ताकि ना हो 'आलोचना' और ना ही लगें 'आरोप' ////

मोदी जी ने आज फिर बेसिर-पैर की बात कह मारी कि लोकतंत्र में 'आलोचना' तो होनी ही चाहिए पर 'आरोप' नहीं !@#$%&?
क्यों भाई क्या भारत में लोकतंत्र मई २०१४ से ही आया है ?
क्या मोदी जी ने मई २०१४ के पहले कभी किसी पर 'आरोप' नहीं लगाया था ?
और क्या मई २०१४ के बाद भी क्या मोदी जी ने किसी पर 'आरोप' नहीं लगाया है ?
क्या उनका उपरोक्त वक्तव्य भी मीडिया या स्वयं उनके आलोचकों पर 'आरोप' तो नहीं ? और 'आरोप' नहीं तो फिर 'आलोचना' का क्या औचित्य ??
मुझे तो ऐसे प्रश्न ही समक्ष में रखना हास्यास्पद लग रहा है .... मुझे लग रहा है कि ये ५६ इंची सीने वाले व्यक्ति को हो क्या गया है ? ये तो अब 'आलोचना' से भी भाग रहे हैं ? इतने कितने छुइ-मुई हुए जा रहे हैं ? जवाब देते नहीं बन रहा तो 'आलोचना' और 'आरोप' शब्दों का घालमेल कर बचना चाहते हैं ????
इसलिए अब ऐसे प्रश्नो को छोड़ मैं कुछ उच्च स्तर के प्रश्न रखता हूँ ....
यदि मैं वक्तव्य आप के समक्ष रखूँ कि - // मोदी सरकार निकम्मी है क्योंकि इस सरकार ने अपने वायदे अनुसार काम नहीं किये // .... तो अब आप बताएं कि मेरा वक्तव्य 'आलोचना' है या 'आरोप' ????
चलिए मैं ही साफ़ कर दूँ कि मेरा उपरोक्त वक्तव्य मेरी 'आलोचना' और 'आरोप' दोनों ही व्यक्त करता है - और मेरा उपरोक्त वक्तव्य देने का मुझे लोकतांत्रिक अधिकार है - और मेरे उपरोक्त वक्तव्य से लोकतंत्र को कदापि हानि नहीं पहुँच सकती है !!!!
अतः एक बार पुनः मोदी जी को समझाइश देना चाहूंगा कि लफ़्फ़ाज़ी युक्त बेमतलब की बचकानी बातें छोड़े - अपने दिमाग को सही दिशा में इस्तेमाल करें - क्या 'आलोचना' है क्या 'आरोप' हैं इस पर परेशान न हों - और बेहतर होगा कि कुछ काम करें - ऐसे काम कि ना कोई आपकी 'आलोचना' कर सके न कोई आप पर 'आरोप' लगा सके ..... धन्यवाद !!!!
और भक्तों से विशेष निवेदन - आपको मोदी जी की कसम - आगे से मेरे पर या अन्य किसी पर भी कोई 'आरोप' लगाने का लोकतांत्रिक पाप ना करें !!!!
हाँ आपकी 'आलोचना' मेरे सर-माथे - पर सावधान !! हर बार सौ बार निश्चित कर लेना कि कहीं 'आरोप' का पुट गलती से भी ना आने पाये .... वर्ना .... समझ गए ना ????

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