Friday 2 January 2015

//// आज मैंने भी "मॉक ड्रिल" करी .... मुझे अच्छा लगा .... ////

गुजरात पुलिस की 'मॉक ड्रिल' में दयनीय एवं आपत्तिजनक मानसिकता देखने को मिली - वही सड़ांघ मारती घिनौनी साम्प्रदायिकता की मानसिकता ....
मित्रों प्रतिक्रिया स्वरुप आज मैंने भी गुजरात की भाजपा सरकार के अघीन गुजरात पुलिस और साम्प्रदायिकता की बीमारी से ग्रसित उन भाजपाइयों और भक्तों और तनातनी हिन्दुओं और वाहियात मुसलमानों के विरुद्ध 'मॉक ड्रिल' करी - जी हाँ - // गालियां देने की 'मॉक ड्रिल' //
जैसे कि यदि ये पुल्लू के अट्ठे मेरे सामने पड़ जाएँ तो मैं इन्हे चुन-चुन कर कौनसी गालियां दूंगा ??
मेरा यकीन करें .... मैंने कल्पना करी ये लड़ रहे थे चिल्ला रहे थे - मेरा हिन्दू धर्म सबसे अच्छा - मेरा इस्लाम सबसे अच्छा - और मैं इन्हे नायाब गालियों से ज़लील करने की 'मॉक ड्रिल' कर रहा था ....
चुप स्साले - नामुराद झकोरे - अधर्मी कीड़े - इंसानियत के दुश्मन ....!@#$%&?  आदि इत्यादि !!!!
सच कहता हूँ कस्सम से मेरी सफल 'मॉक ड्रिल' के बाद मैं कुछ हल्का महसूस कर रहा हूँ - मुझे लग रहा है कि मैंने भी अपने सामाजिक दायित्व के निर्वहन करने का प्रयास किया है ....
आप से भी अनुरोध है कि आप भी अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वहन करने और इंसानियत को ज़िंदा रखने का प्रयास करते रहें ....
धन्यवाद !!!!

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