आजकल डिबेट्स में मैं भाजपा प्रवक्ताओं द्वारा इस आशय की बात करते देख रहा हूँ कि .....अरविन्द केजरीवाल सत्ता के लोलुप हैं - वे स्वार्थी हैं - वो लालची हैं - उन्हें एन-केन-प्रकारेन बस सत्ता में आना है - वो तो बस अब जैसे तैसे मुख्यमंत्री बनने की कोशिश कर रहे हैं - वो तो बस छटपटा रहे हैं - वो वाराणसी प्रधानमंत्री बनने का सपना लेकर पहुंच गए थे - वो भी मुख्यमंत्री का पद छोड़कर .... आदि इत्यादि !!
चलो प्रवक्ता तो ठीक हैं - क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी हित की बात कहने का अधिकार है ....
पर जब बहस के टीवी एंकर्स और बिके हुए स्वघोषित निष्पक्ष पत्रकार या विशेषज्ञ भी ऐसी ही बात बिना नैतिकता और तर्क के तराज़ू पर तोलते हुए करते हैं और इसमें के बकवास प्रश्न ज्यादातर 'आप' पार्टी के प्रवक्ताओं से ही पूछते हैं तो ज़रा अजीब लगता है गुस्सा आता है और उनकी अकल पर तरस भी !!!!
इसलिए इस विषयक एक छोटी सी प्रतिक्रिया के रूप में मैं उपरोक्त वर्णित मूर्खाधिपतियों से आह्वाहन करता हूँ कि >>>>
> भाजपा या कांग्रेस के एक विधायक का नाम बताया जाए जो विधायक का चुनाव विधायक बनने के लिए ना लड़ा हो - बल्कि वो तो इंजीनियर बनने के लिए लड़ा हो और किस्मत या बदकिस्मत से विधायक बन गया हो ?
> भाजपा या कांग्रेस के एक सांसद का नाम बताया जाए जो सांसद का चुनाव दरअसल एक हम्माल बनने के लिए लड़ा हो - पर जनता ने उसे जबरन वोट दिए हों और उसे जबरन सांसद की शपथ दिला बेचारे का करियर चौपट कर दिया हो - और फिर टुच्चों और लुच्चों द्वारा मिल कर उसे जबरन मंत्री बना डाला हो ?
> बताया जाए कि मोदी जी वडोदरा और वाराणसी सीट से सांसद का चुनाव क्या मत्स्य विभाग में अर्दली या बाबू बनने के लिए लड़े थे - और फिर सारे भाजपाइयों ने चुनाव बाद उन्हें जसोदाबेन की कसम दिला प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा सारे दायित्वों से लाद दिया था ??
> बताया जाए कि क्या किरण बेदी दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने के लिए दिल्ली की सड़कों की खाक छान रहीं हैं या मात्र दिल्ली दर्शन करने के लिए निकली हैं अपनी किटी सहेलियों से मिलने जुलने ? या फिर कहीं उनके दिमाग में ये तो नहीं कि अगर वो जीत भी जाती हैं तो वो अड़ जाएंगी कि मुझे तो पुलिस कमिश्नर बना दो जो मैं पहले ना बन सकी थी - मुझे नहीं बनना मुख्यवुख्यमंत्री !!!!
अरे मूर्खाधिपतियों !! इतनी मूर्खता भी क्यों पटकते हो कि तुम्हारे सामने भक्त भी शर्मिंदा होने के लिए मजबूर हो जाएँ ?? ज़रा अपनी क़ाबलियत को खुरचो - महसूस करो कि प्रायः सभी सामान्य लोग आशावादी महत्वाकांक्षी या अवसरवादी होते ही हैं - और इसमें गलत कुछ भी नहीं - पर देखने परखने योग्य बात केवल इतनी सी होती है कि कौन अपने लक्ष्य तक पहुँचने हेतु नैतिक तरीके अपनाता है और कौन अनैतिक - किसकी नीयत साफ़ है किसकी नीयत ख़राब - किसका तौर तरीका सही है किसका गलत - कौन पैसा मेहनत से कमाता है कौन चोरी से - किसको शोहरत सद्कर्मों से मिलती है किसको दुष्कर्मों से - यानि कार्यप्रणाली भी महत्त्वपूर्ण होती है !!!! है ना !!!!
जागो इंडिया जागो !!!! मूर्खों को जवाब दो और परास्त करो !!!! जय हिन्द !!!!
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