Saturday 3 January 2015

//// 'हिंदी' भाषा - क्या सुविधानुसार मापदंड ही औने-पौने बदल तो नहीं गए ? ////

आज मोदी जी ने १०२ वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उदघाटन करने के उपलक्ष में अंग्रेजी में भाषण दिया !!!!
अभी तक हम मोदी जी के भाषण अधिकतर हिंदी में ही सुनते आये हैं जो विशिष्ठ शैली में धाराप्रवाह होते हैं और अपना असर भी छोड़ते रहे हैं !!!!
पर इसके विपरीत आज का भाषण नीरस और अजीब सा ही लगा .... मेरे आंकलन अनुसार इसका मुख्य कारण ये रहा कि मोदी जी ना तो अंग्रेजी में पारंगत हैं ना ही उनका उच्चारण दोष रहित या ही  कर्णप्रिय है !!!!
पर फिर भी क्योंकि शायद ज्यादातर वैज्ञानिक दक्षिण भारत एवं गैर हिंदीभाषी क्षेत्रों से आते हैं जिनके लिए हिंदी समझना मुश्किल होता है इसलिए उन्होंने अंग्रेजी में भाषण देना उचित समझा होगा - जिसकी प्रशंसा की जानी चाहिए !!!!
पर फिर एक प्रश्न भी उठता है कि मोदी जी के UN में दिए भाषण को हिंदी में होने के कारण बढ़-चढ़ कर क्यों सराहा गया था ?? शायद भक्तों और मोदी समर्थकों और अन्य भारतियों ने यही तो कहा था कि इससे हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी का मान बढ़ता है - आदि !!!!
तो क्या अब मापदंड भी बदल तो नहीं गए ? या माना जाए कि मोदी जी के भाषण की भाषा हिंदी होने के आधार पर सराहना बेमानी और मिथ्या थी ?? क्या फरक पड़ता था यदि मोदी जी UN में भी भाषण अंग्रेजी में ही दे देते ?? पर फरक तो पड़ा था !!!! है ना !!!!
तो फिर तो सुविधानुसार मापदंड ही औने-पौने बदल गए लगते हैं ....

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