Monday 12 January 2015

//// अरविन्द केजरीवाल दिल्ली का १ वर्ष बर्बाद कर गए ? और बाकी सब जवाबदार उल्लुओं की तरह बैठे रहे ?? ////

कल की दिल्ली की विशाल खर्चीले संसाधन पोषित रिकॉर्ड नेताओं की संख्या वाली फ्लॉप भाजपा रैली में मोदी जी ने अरविन्द केजरीवाल की ओर इशारा और निशाना साधते हुए कहा था - "दिल्ली का एक साल बर्बाद हो गया, किसने किया? जिन्होंने दिल्ली को अस्थिर किया, उनको सजा दीजिए।"
मेरी विवेचना ....
मैं दिल्ली की बात पर बाद में आऊंगा पर पहले ज़रा नज़र डालते हैं जम्मू-कश्मीर पर ....
२३ दिसंबर को चुनाव नतीजे आ गए थे - पर कई दिनों की मशक्कत के बाद भी वहां भाजपा सरकार नहीं बना पायी - यहाँ तक की NC ने भी समर्थन की पेशकश की थी पर तब भी बीजेपी ने सरकार नहीं बनायी - पर पीडीपी से बात जारी .... तो अब क्या होगा ? अब तो जम्मू-कश्मीर का समय बर्बाद होगा कि नहीं ? जम्मू-कश्मीर अस्थिर हो गया कि नहीं ?? तो क्या अब उसके लिए भी अरविन्द केजरीवाल ही जिम्मेदार ????
जी हाँ चौंकिए मत - जम्मू-कश्मीर का जो भी समय बर्बाद हो रहा है उसके लिए अरविन्द केजरीवाल ही जिम्मेदार हैं - क्योंकि अभी दिल्ली के चुनाव जो होने वाले हैं और सत्ता की लोलुप सिद्दांतहीन बीजेपी यदि पीडीपी यानि बाप बेटी वाली मुस्लिम बहुल पार्टी से हाथ मिला लेती है तो उसे कई तीखे प्रश्नों का सामना करने में असहज होना पड़ता .... और क्योंकि दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल मोदी की छाती पर दाल दल रहे हैं इसलिए बीजेपी किसी भी प्रकार का चुनावी नुकसान का जोखिम नहीं ले सकती - पर मेरा दावा है कि दिल्ली चुनाव के तुरंत बाद बीजेपी और पीडीपी जम्मू-कश्मीर में सरकार बना लेंगे !!!!
और अब मैं आता हूँ दिल्ली की १ वर्ष की बर्बादी वाली बात पर ....
मित्रों आज एक बात तो तय हो गयी कि दिल्ली का १ साल बर्बाद हुआ - और इसलिए इस बर्बादी के जिम्मेदार को गाली तो पड़नी ही चाहिए ....
पर मेरी निजी राय में १ और बात तय हो गयी कि मोदी जी निहायत बकवास पटकने वाले इंसान हैं क्योंकि वो इसके लिए भी अरविन्द केजरीवाल को ही जिम्मेदार ठहराने की अनैतिक कोशिश और हिमाकत करते दिख रहे हैं - केवल इस अतिविश्वास आधार और सत्य पर कि उनके बेअकल भक्त इस बात पर विश्वास कर ही लेंगे और यही मान भी लेंगे कि दिल्ली के १ साल की बर्बादी के लिए अरविन्द केजरीवाल ही तो जिम्मेदार हैं - क्योंकि उन्होंने फरवरी २०१४ में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा जो दे दिया था .... है ना !!!!
पर आज मैं उन बेअकल भक्तों को जो मोदी जी की बात का समर्थन करते हों पूछना चाहता हूँ कि क्या इस्तीफ़ा देने के बाद केजरीवाल किसी भी संवैधानिक हैसियत में थे कि वो दिल्ली के संबंध में कोई भी हस्तक्षेप कर सकते थे ? क्या LG और केंद्र सरकार और अन्य संवैधानिक संस्थाएं और व्यवस्थाएं इतनी पंगु हो गयी थीं कि एक अदना सा पद विहीन आम आदमी अरविन्द केजरीवाल दिल्ली का १ वर्ष बर्बाद कर गया और वे सब उल्लुओं की तरह बैठे बैठे जनता के पैसे से ऐशो आराम फरमाते रहे और बड़े बड़े सरकारी भवनों में बैठे खाते हगते रहे ????
क्या ये आज़ाद हिन्दुस्तान में पहला इस्तीफ़ा था ? और क्या पूर्व के इस्तीफ़ा प्रकरणों में संवैधानिक व्यवस्थाएं ऐसे ही चरमरा गयी थीं जैसे दिल्ली में ????
धिक्कार है धिक्कार - ऐसे आरोपों और बयानों पर और ऐसी अकल पर और ऐसे समर्थन पर !!!!
मेरी निजी राय में तो दिल्ली का १ वर्ष बर्बाद करने के मुजरिम केंद्र सरकार में सत्तासीन कांग्रेस और भाजपा ही हैं और जनता ने इन्हे ही सबक सिखाना होगा - अन्यथा .... अन्यथा जो होगा सो होगा .... वैसे भी इस देश की राजनीति में अब तक सब कहाँ अच्छा ही होता आया है .... कुछ बर्बादी और सही !!!!

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