Sunday 30 July 2017

// मुख्यमंत्री थे और फिर से हैं - दिमाग है नहीं इसलिए लम्बी प्रक्रिया से मंत्री बदले .. //


(आज किस्मत वाले उद्दंडी मूर्खों के लिए ज्ञान की बात - आपसे माफ़ी के साथ) 

मैं जानता हूँ - और बहुत अच्छे से जानता हूँ - और आपने भी जाना होगा - कि मंत्रिमंडल में कौन मंत्री रहेगा या नहीं ये मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार होता है .. यानि मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री चाहे जिस गधे घोड़े काबिल नाकाबिल जीते हारे को अपनी इच्छा या सनक से मंत्री बनवा सकता है .. और बनवा चुका है - और बनाता ही रहता है .. और जिसे चाहे जब चाहे हटा भी सकता है .. .. कोई शक ?? .. ..

तो मेरी समझ में नहीं आ रहा कि नितीश मुख्यमंत्री थे - इस्तीफ़ा दे दिया - १६ घंटे कि फ़िज़ूल उठापटक और पापड़ बेलने के बाद फिर से मुख्यमंत्री की शपथ ले ली - फिर सदन में विश्वास मत हासिल करा - फिर मंत्रिमंडल का चयन कर जिसे चाहा उसे मंत्री बनवा दिया .. .. और इस लम्बी प्रक्रिया में फ़ोकट समय लगा और करोड़ों का खर्चा भी आया .. ..

इसलिए मैं सोच रहा हूँ कि यदि नितीश राज्यपाल को सीधे-सीधे एक लिस्ट भेज जो अब मंत्री नहीं रहे उन्हें बर्खास्त कर देते - और जिन्हें अभी मंत्री बनाया है उन्हें सीधे ही शपथ दिलवा देते - तो क्या गलत हो जाता ?? - कौनसा पहाड़ टूट जाता ?? - कोई क्या उखाड़ लेता ?? .. और क्या असंवैधानिक हो जाता .. और क्या नैतिक हो जाता ?? .. ..

यानि यदि नितीश ऐसा कर देते तो ये अनैतिक मात्र ही तो रहता ना - तो फिर फर्क क्या पड़ जाता .. बाबाजी का ठुल्लू !! .. हाँ नहीं तो !! .. दिमाग है नहीं और फालतू पेलते रहते हैं !! .. ..

तो अक्ल रखने वाले मित्रों - मैनें पते की बात कही ना !! .. धन्यवाद !!

वैसे मैं समझ सकता हूँ कि जब ये बात मोदी और नितीश और अन्य मुख्यमंत्री और संविधान विशेषज्ञ भी जानेंगे तो मेरा लोहा मानेंगे .. और भक्त अपनी खुपड़िया खुजाना चालू कर दिए होंगे .. क्योंकि मैनें बात ही ऐसी धाँसू कर दी है कि भक्त तो कन्फ्यूज्ड होंगे ही !! .. हा !! हा !! हा !! .. .. 

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