Tuesday 18 July 2017

//.. और मायावती ने इस्तीफ़ा दे दिया .. आगे क्या ?? .. ..//


मायावती ने इस्तीफ़ा दे दिया .. और मैं इसका स्वागत करता हूँ .. क्योंकि यदि आप दलितों की सच्ची नेता हो या ना भी हो पर अपने को दलितों की नेता बताती हों तो दलितों के नाम पर इस्तीफ़ा दे देना और उनके लिए संघर्ष करते दिखना आपको वाकई दलित नेता बना भी देगा .. ..

और इसलिए मैं चाहूंगा कि अब दलितों के विषय के बहाने भाजपा के समस्त सामाजिक अत्याचारों पर बहस होना चाहिए और प्रतिकार भी .. ..

प्रतिकार  इसलिए भी कि संघी और भाजपाई भी कोई हिन्दुओं के सच्चे रहनुमा कत्तई नहीं है - बल्कि वो तो हिन्दुओं के नाम से जबरन ओछी राजनीति कर हिन्दुओं सहित समाज के हर वर्ग को आपस में भिड़ा अपने स्वार्थ सिद्धि में लगे खपे पड़े ही दिखते हैं .. .. उन्हें केवल चुनाव ही दिखता है और चुनावी जीत ही एकमात्र लक्ष्य भी .. ..उन्हें चुनने वालों के हितों का तो रत्ती भर भी ख्याल आता हो ऐसा आभास भी नहीं होता .. ..

और मैं साफ़ महसूस कर रहा हूँ कि समाज का हर वर्ग अब असहज महसूस कर रहा है और उसका आर्थिक सामाजिक और सुख-चैन का स्तर गिरा है - और केवल संघियों और भाजपाइयों का आर्थिक और दादागिरी से भरी क्षमता का स्तर ही बढ़ा है .. ..

इसलिए जरूरत हो चली है कि सामाजिक समरसता बनाने और बनाए रखने के लिए सबसे पहले सभी वर्गों के हर स्तर को बराबरी पर लाया जाए ..

और यह कार्य मुश्किल तो बहुत है पर मायावती के इस्तीफे से इसकी शुरुआत की जा सकती है .. क्योंकि कई वर्षों बाद किसी नेता ने इस्तीफ़ा जो दिया है .. आमीन !!

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