वो कह रहे हैं - 'चीनी' तो हम चाय में घोल कर पी जाएंगे ..
और मैं बता दूँ 'पाक' मैं ओवन में पका कर खा जाऊँगा .. ..
तो अब समस्या क्या बची ?? .. क्या चरखी मिर्ची बची - और लगी ?? .. ..
लगी तो ठीक है लगने दो .. आखिर भक्तों के पास किसी भी समस्या का इलाज भी कहाँ - यदि होता तो चीन और पाकिस्तान विषयक हम बचकानी लफ़्फ़ाज़ी थोड़े ही कर रहे होते .. है ना !!
मेरे दिमाग की बातें - दिल से .. ब्रह्म प्रकाश दुआ
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