Tuesday 11 November 2014

//// मोदी जी ! वो गिलास कहाँ है ? उसका पानी कहाँ है ?? बस हवा ही हवा ??? ////

आपको याद होगा कि मोदी जी ने चुनाव पूर्व दिल्ली के एक समारोह में अपनी धाक जमाने के मक़सद से बहुत ही दार्शनिक अंदाज़ में एक मंजे हुए वक्ता की तरह और एक निपुण लीडर की तरह एक कांच का गिलास जो पानी से आधा भरा था हाथ में ले मास्को स्थित लेनिन की मशहूर मूर्ती जैसी मुद्रा में हाथ ऊपर उठा और अपने शरीर से दूर रख उसकी ओर ही टकटकी से देखते हुए कहा था कि ....
"कुछ लोग कहेंगे कि ये गिलास आधा खाली है और कुछ कहेंगे आधा भरा है - पर मैं इसे एक अलग ही नज़रिये से देखता हूँ - ये गिलास आधा पानी से भरा है और आधा हवा से" .....
तालियां ! तालियां !! और जनाब पूरा हॉल तालियों से गूँज उठा था !!!!
और आज मैं भी स्वीकार करता हूँ कि उस दिन मैंने भी अपने ड्राइंग रूम में बैठ तालियां बजाई थीं - और सराहा था कि ये होती है सोच - ये आदमी जरूर कुछ करेगा !!!!
पर आज जब मैं टीवी में देखे उस सीन को याद करता हूँ तो निराश होता हूँ और विवेचना हेतु मज़बूर हो जाता हूँ ....
मुझे याद आती है बचपन की वो बात जब हम 5-6 बच्चों में से एक हमसे 2-3 साल बड़ा लड़का हमें सिक्का गायब कर दिखाता था - वो हमसे सिक्का मांगता - सिक्के को मुट्ठी में बंद कर मोदी स्टाइल में ही हाथ ऊपर कर 'छू-मंतर काली-कलंतर फूं-फाँ' आदि बोल सिक्का गायब कर देता - हम ताली बजाते - हमें मज़ा आता और हम रोमांचित हो जाते थे - हम सब घर से सिक्का लाते और वो गायब कर दिखा देता - पर जब बड़ों को इस बात का पता चला तो ..... खैर जो होना था हो गया .... हमें भी समझ पड़ गयी थी कि ठगी क्या होती है !!!!
और आज मैं उस बचपन की घटना को आज के परिदृश्य में याद कर सोचता हूँ कि ....
वो गिलास कहाँ गया ????
वो गिलास में भरा पानी कहाँ गया ????
अब सब दूर केवल हवा ही हवा क्यूँ नज़र आ रही है ????
मैं सोच रहा हूँ - कि मैं फिर ठगा गया !!!! क्या आप भी ऐसा सोचते हैं ????

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