Thursday 20 November 2014

//// दुराचारी रामपाल का तो काम तमाम समझो - अब कुछ विवेचना हो जाए ....////

विवेचना हेतु कल्पना करें कि - TV बहस में भाग ले रहे हों केवल भाजपा के नलिन कोहली और कांग्रेस के संजय झा .... और एंकर हों - काबिल पत्रकार रवीश कुमार ....
रवीश - संजय झा शुरुआत मैं आप से करता हूँ - बताएं आखिर रामपाल को इतनी नाटक नौटंकी के बाद गिरफ्तार ........>>>>.......
संजय झा .... साबित हो गया कि भाजपा की खट्टर सरकार निकम्मी ........>>>>.......
रवीश - नलिन आप पर जो आरोप लगे उस पर आपकी प्रतिक्रिया ....
नलिन - देखिये संजय कि मैं बहुत इज़्ज़त करता हूँ पर ये भूल रहे हैं कि 10 साल तक हरियाणा में कांग्रेस की हुड्डा सरकार ........>>>>.......
और घंटे भर की बहस के बाद रवीश कुमार मुस्कुराते हुए आप से मुखातिब हो कहेंगे कि - आप तो सब समझ ही गए होंगे ........>>>>.......
और मेरा दावा है कि आप भी समझ गए होंगे कि - भाजपा-कांग्रेस या कांग्रेस-भाजपा में "इत्तू" सा भी फरक नहीं हैं - ये दोनों पार्टियां अंदर से मिलीजुली ऊपर से एक दूसरे को गालियां देतीं - एक समान भ्रष्ट फरेबी - धर्म जाती के नाम पर गंदी राजनीति करती आयीं महा टुच्ची पार्टियां हैं !!!!
और हाँ यदि दिमाग का दहीं करना हो तो फिर एक और कल्पना करें कि ....
एंकर रवीश कुमार की जगह हों देश के सबसे बड़ेवाले तथाकथित पत्रकार दीपक चौरसिया ....
और बहस में शामिल हों - भाजपा के विजेंदर गुप्ता, कांग्रेस की शोभा ओझा, शिवसेना के प्रेम शुक्ला, समाजवादी के गौरव भाटिया, बहुजन पार्टी के भदौरिया, और कमाल फारूकी, चक्रपाणि महाराज और पंडित महेंद्र मिश्रा और आचार्य राजकुमार शास्त्री - आदि .... तो यकीन मानियेगा - कान में उंगल डाल आप कह उट्ठेंगे ....
हे भगवान ! हे राम !! हे रामपाल !!!!
और शायद आप ये भी कह उठें कि मीडिया वाले भी पिटे तो क्या गलत पिटे ????

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