धीर साहब इतने अधीर क्यों हुए होंगे ?
जब धीर साहब ने 'आप' पार्टी ज्वाइन की थी तब भी तो बीजेपी विद्यमान थी ....
फिर धीर साहब ने 'आप' के टिकट पर चुनाव लड़ा - जो निश्चित ही बीजेपी के विरुद्ध लड़ा चुनाव था - और जनता ने उन्हें जिताया भी - और फिर 'आप' ने भी उन्हें स्पीकर बनाया ....
पर अब हो सकता है कि धीर साहब को 'आप' पार्टी कुछ जँची ना हो - उन्हें इस पार्टी में भी कुछ गलत लगा हो - उन्हें सरकार का इस्तीफ़ा सही निर्णय ना लगा हो - उन्हें अरविन्द का मफलर या कार्यप्रणाली अटपटी लगी हो - और उन्होंने 'आप' छोड़ने का निर्णय लिया - जो सही और जायज़ भी हो सकता है ....
पर समझ के परे जो है वो ये बात है कि धीर साहब को ये बीजेपी के डीएनए में ऐसा क्या परिवर्त्तन दिख गया होगा जो अब धीर साहब बीजेपी ज्वाइन करने के लिए अधीर हो गए ??
// कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है .... //
पर श्रीमान ऐसे झीने परदे के पीछे भी झांकना और जानना कहाँ मुश्किल है - सैंकड़ो दलबदलू टुच्चे वीर इस देश में हैं जो - कांग्रेस से बीजेपी से लोकदल से बहुजन से डीएमके से समाजवादी से एडीएमके से सीपीएम से शिवसेना आदि इत्यादि से - जनहित में और अपनी आत्मा की आवाज़ पर और जनता की सेवा करने के लिए अपना सर्वस्व समर्पित और न्यौछावर कर दलबदल करते आये हैं - और भाजपा में ऐसे ही नायाब नग नगीनों का आजकल विशेष स्वागत हो रहा है - और वर्चस्व भी बन रहा है - और इनकी प्रासंगिकता और प्राथमिकता भी बनी हुई है !!!!
अब देखिये ना - जम्मू कश्मीर के लालसिंघ भी अब कांग्रेस से बीजेपी में शामिल कर लिए गए हैं - जबकि लालसिंघ ने पिछले लोकसभा में ही मोदी जी के लिए जो कुत्ताई गालियां दी थीं वो तो मैं यहाँ लिख भी नहीं सकता .... वो शायद इतनी गंदी थीं इतनी नंगी थीं कि स्वयं मोदी और भक्तगण ही उन्हें सुनकर पचा सकते हों .... किसी दूसरे के तो बस की बात नहीं ही हो सकती !!!!
और ऐसा क्यूँ हुआ ? कैसे हुआ ??
// मुझे लगता है कि इसमें तो ऐसा कुछ भी नहीं जिसकी पर्दादारी हो .... //
आखिरकार बेशर्मी और परदे का भी कोई संबंध होता है क्या ?? हो सकता है क्या ????
बेपर्दा को ही तो बेशर्म नंगा कहते हैं - है ना !!!!
फिर धीर साहब ने 'आप' के टिकट पर चुनाव लड़ा - जो निश्चित ही बीजेपी के विरुद्ध लड़ा चुनाव था - और जनता ने उन्हें जिताया भी - और फिर 'आप' ने भी उन्हें स्पीकर बनाया ....
पर अब हो सकता है कि धीर साहब को 'आप' पार्टी कुछ जँची ना हो - उन्हें इस पार्टी में भी कुछ गलत लगा हो - उन्हें सरकार का इस्तीफ़ा सही निर्णय ना लगा हो - उन्हें अरविन्द का मफलर या कार्यप्रणाली अटपटी लगी हो - और उन्होंने 'आप' छोड़ने का निर्णय लिया - जो सही और जायज़ भी हो सकता है ....
पर समझ के परे जो है वो ये बात है कि धीर साहब को ये बीजेपी के डीएनए में ऐसा क्या परिवर्त्तन दिख गया होगा जो अब धीर साहब बीजेपी ज्वाइन करने के लिए अधीर हो गए ??
// कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है .... //
पर श्रीमान ऐसे झीने परदे के पीछे भी झांकना और जानना कहाँ मुश्किल है - सैंकड़ो दलबदलू टुच्चे वीर इस देश में हैं जो - कांग्रेस से बीजेपी से लोकदल से बहुजन से डीएमके से समाजवादी से एडीएमके से सीपीएम से शिवसेना आदि इत्यादि से - जनहित में और अपनी आत्मा की आवाज़ पर और जनता की सेवा करने के लिए अपना सर्वस्व समर्पित और न्यौछावर कर दलबदल करते आये हैं - और भाजपा में ऐसे ही नायाब नग नगीनों का आजकल विशेष स्वागत हो रहा है - और वर्चस्व भी बन रहा है - और इनकी प्रासंगिकता और प्राथमिकता भी बनी हुई है !!!!
अब देखिये ना - जम्मू कश्मीर के लालसिंघ भी अब कांग्रेस से बीजेपी में शामिल कर लिए गए हैं - जबकि लालसिंघ ने पिछले लोकसभा में ही मोदी जी के लिए जो कुत्ताई गालियां दी थीं वो तो मैं यहाँ लिख भी नहीं सकता .... वो शायद इतनी गंदी थीं इतनी नंगी थीं कि स्वयं मोदी और भक्तगण ही उन्हें सुनकर पचा सकते हों .... किसी दूसरे के तो बस की बात नहीं ही हो सकती !!!!
और ऐसा क्यूँ हुआ ? कैसे हुआ ??
// मुझे लगता है कि इसमें तो ऐसा कुछ भी नहीं जिसकी पर्दादारी हो .... //
आखिरकार बेशर्मी और परदे का भी कोई संबंध होता है क्या ?? हो सकता है क्या ????
बेपर्दा को ही तो बेशर्म नंगा कहते हैं - है ना !!!!
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