Sunday 23 November 2014

//// भक्त !! और संस्कृत ???? ////

मुझे शुरू से ही उर्दू भाषा बहुत अच्छी लगती रही - बहुत मीठी बहुत तहज़ीब वाली .... पर अफ़सोस कभी सीख ना सका .... मैं स्वयं एक पंजाबी परिवार से हूँ पर बचपन से ही हिन्दीभाषी मध्यप्रदेश में रहते हुए कभी पंजाबी सीख ना सका जिसका अफ़सोस और शर्मिंदगी आज भी है !!!!
पर बावजूद इसके कि प्राइमरी स्कूल तक मैनें संस्कृत पढ़ी थी मैं कभी भी संस्कृत सीख ना पाया - ना ही सीखने की कभी इच्छा ही हुई - ना ही जरूरत और ना ही उपयुक्तता महसूस हुई !!!!
पर अभी-अभी हिंदूवादियों और भाजपाइयों के संस्कृत प्रेम और एक के बाद एक बयानात देख मुझे लगने लगा है कि उर्दू या पंजाबी के बजाय इस बुढ़ापे में संस्कृत ही सीख ली जाय ....
और वो इसलिए नहीं कि मुझे किसी भी कारण से ऐसी कुछ दिली इच्छा हो आई हो - पर इसलिए कि
शायद मैं भविष्य में भक्तों को ललकार सकूँ कि ....
क्यों हिंदी में समझ नहीं पड़ रही है - अब संस्कृत में समझाऊँ क्या ????
पर फिर दिमाग में आ रहा है कि क्या भक्त भी कभी संस्कृत सीख पाएंगे समझ पाएंगे ????
लगता तो नहीं है - क्योंकि मैंने ये भी तो सुना है कि - संस्कृत तो ज्ञानियों की विद्वानो की पुरातन समृद्ध महान भाषा है .... इसका अपना ही एक गौरवशाली अतीत है !!!!
इसलिए मैं निर्णय करता हूँ कि संस्कृत सीखने का निर्णय अभी के लिए तो स्थगित - पहले देखता हूँ कि ये जितने भी हिंदूवादी देशभक्त जो संस्कृत की वकालत कर रहे हैं वो यूं ही बेचारे स्कूली बच्चों को पेलने का काम करेंगे या स्वयं भी कभी संस्कृत का पहला वाक्य बोल पाएंगे .... जैसे कि क्या वो कभी बता पाएंगे कि ....
"वो फेंकता बहुत है" की संस्कृत क्या होगी - भावार्थ सहित ????
यदि किसी अन्य ज्ञानी को मालूम हो तो कमेंट में लिख अनुग्रहित करें .... धन्यवाद !!!!

No comments:

Post a Comment