Tuesday 25 November 2014

//// किसान विकास पत्र में "किसान" का क्या औचित्य ? - भक्त या शौचालय ही क्यों नहीं ////

अब 'किसान विकास पत्र' बचत योजना को रीलॉन्च किया जा रहा है ....
विदित हो कि किसान विकास पत्र बचत योजना को वर्ष 2011 में बंद कर दिया गया था .... कारण काले धन की आशंका के रहते .... और पुनः - क्योंकि इसके खरीदने के लिए आधार और पैन कार्ड की अनिवार्यता नहीं है - इसमें आय का स्त्रोत भी बताना अनिवार्य नहीं - इसमें अघोषित आय का निवेश आसान होगा - यह नकद भी खरीदा जा सकेगा - इसमें ट्रांसफर की सुविधा भी है - इसलिए माना जा रहा है कि किसान विकास पत्र से फिर बढ़ेगा 'काला धन' - वही रामदेव बाबा वाला 'काला धन' - वही 'काला धन' जिसको सुनते ही मोदी दिल की बात करने लगते हैं .... और इसलिए इस योजना के विरूद्ध सवाल उठना वाजिब ही तो है !!!!
और उपरोक्त कारणों से मैं भी इसका विरोध करता हूँ !!!!
पर मेरा विरोध एक और बात को लेकर भी है ....
इस योजना में "किसान" का तो कोई रोल ही नहीं हैं भाई - फिर इस बद-बदनाम योजना का नाम अभी तक बेचारे ईमानदार "किसान" के नामे क्यों ????
इस योजना का नाम हेडगेवार जी श्यामा जी दीनदयाल जी मोहन जी अटल जी आडवाणी जी मोदी जी शाह जी जेटली जी या प्रधानमंत्री या प्रधानसेवक जी के नाम क्यों नहीं ????
क्या बदनामी से डर लगता हैं ????
यदि ऐसा ही था तो भाई - पटेल जी नेहरू जी इंदिरा जी राजीव जी या फिर "शहजादा विकास पत्र" ही रख देते ....बिलकुल नया नाम .... नहीं तो - "ईरानी विकास पत्र" - "लव-जिहाद विकास पत्र" - या - "स्वच्छता विकास पत्र" या "शौचालय विकास पत्र" आदि भी तो रख ही सकते थे कि नहीं ????
अरे सब छोडो यार - "भक्त विकास पत्र" ही रख देते ....
पर भाई मेरे ये "किसान" ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था जो उसको फोकट में लपेट रहे हो ????
निंदनीय - दयनीय - बेतुका - नाम - और योजना भी बकवास !!!!

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