Sunday 16 November 2014

//// मोदी जी ! देशवासियों की शिकायत विदेश में ? ////

आज 16/11/14 को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ब्रिस्बेन ऑस्ट्रेलिया में महात्मा गांधी की मूर्ती के अनावरण के समय भाषण देते हुए कुछ यूं कहा कि ....
// भारत में ऐसी चर्चा हो रही है कि वह जब से प्रधानमंत्री बने हैं, तब से वह महात्मा गांधी का जरूरत से ज्यादा उल्लेख करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि वह तो गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पहले से ही महात्मा गांधी के दर्शन और विचारों में यकीन रखते हैं। //
मुझे मोदी जी के उपरोक्त वक्तव्य से घोर निराशा हुई है - मेरी आपत्ति इस बात से है कि विदेश में भारत के आतंरिक बातों का उल्लेख क्यों ? आप के वक्तव्य से तो ये ही मतलब निकलता है कि आप अपने देशवासियों पर ये आरोप लगा रहे हैं कि स्वयं आपके ही देशवासी फालतू में आपकी आलोचना करते रहते हैं !!!!
मोदी जी ! यदि आपको देशवासियों की किसी बात से आपत्ति थी तो आप देशवासियों से देश में ही संवाद स्थापित कर सकते थे, बाहर विदेश में भारतियों को नीचा दिखाने का प्रयास क्यों ????
फिर बताना ही था तो पूरी बात ही बता देते कि - देशवासी आपको फेंकू भी बोलते हैं - आपको गुजरात के दंगों का दोषी भी मानते हैं - आदि इत्यादि !!!!
मोदी जी मैं आपको बहुत विनम्रता और आदर के साथ कहना चाहूंगा कि आप और हम सबसे पहले भारतीय हैं और इस नाते भाई-भाई - हमारे विचार भिन्न हो सकते हैं और इसलिए हमें आपस में एक दूसरे से शिकायत हो सकती हैं - हम एक दूसरे को बुरा भला भी कह सकते हैं - पर इसका ये मतलब तो नहीं कि आप या हम विदेशियों से विदेश जाकर अपना दुखड़ा रोने लगे और अपने को महामंडित करने के चक्कर में अपने देशवासियों को नीचा दिखाने का प्रयास करें ????
आशा है आपको अपनी गलती का अहसास होगा !!!! धन्यवाद !!!!

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