Monday 3 November 2014

//// हम आश्वासनों पर विश्वास रखने के अलावा कर भी क्या सकते हैं ? ////

लो भाई ! कल तो मोदी जी ने बड़ी साफगोई से अपने मन की बात सार्वजनिक कर दी - कह दिया कि कालाधन हो सकता है मात्र 2 रु. ही हो .... पर आप प्रधानसेवक पर विश्वास रखना, जनता की एक एक पाई वापस लाएंगे, आप तो आशीर्वाद देते रहना, आदि ..... 
यानि इसका मतलब ये हुआ कि हो सकता है प्रत्येक नागरिक को जो रुपये 3 लाख की राशि का सपना दिखाया गया था उसके एवज़ में प्राप्त हो सकने वाली राशि घट कर हो जायेगी ....
= 200 / 1250000000 = 0.00000016 पैसे - यानी शून्य के बराबर - यानी बाबाजी का ठुल्लु !!!!
इस बात पर एक पुरानी युक्ति याद हो आई जो बदनीयत अमीर देनदार पर लागू होती है जो गरीब लेनदार को तमाम लुब्बेलुबाब के बावजूद एक कौड़ी भी नहीं देना चाहता >>>>
> सौ की हुई थी बात ....
> पर सौ के देंगे साठ ....
> और आधे लेंगे काट ....
> अभी आधे दे देंगे ....
> आधे के लिए भागे नहीं जाते ....
यानि - मूल राशि थी 100; भावताव से बचे 60; दादागिरी से बचे 30; जब नगद देने की बात आएगी तो बचेंगे 15; अब विश्वास करो कि मात्र 15 रु के लिए इतना बड़ा साहूकार कहाँ भाग जाएगा; औकात में रहो, कुछ तो विश्वास करो रे और अभी चलते बनो ????
तो जनाब गरीब की तरह आप भी आश्वासनों पर विश्वास करने के अलावा कर भी क्या सकते हैं ??

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