Friday 5 December 2014

//// क्या साध्वी के 'रामजादे-हरामजादे' मामले में सत्तापक्ष ने शर्म बेच खाई ? ////

साध्वी निरंजन ज्योति के 'रामजादे-हरामजादे' वाले मामले में विपक्ष के दबाव का काट सरकार ने इसे जाति मुद्दे से जोड़ कर करने का कुप्रयास किया है - नक़वी जी और रामविलास पासवान ने यह आरोप लगा दिया है कि साध्वी एक दलित पिछड़ी महिला हैं इसलिए विपक्ष उनका इस्तीफ़ा मांग रहा है .... इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री जी ने भी टेका लगाया है कि वो नई हैं, ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं .... आदि !!!!
वाह क्या बात है !! जैसा कि मुझे अंदेशा था ये सरकार भी तो आ गयी ना अपनी जात-पात की ओछी राजनीति पर और अतार्किक टेकों पर ....
इसलिए आज मैं कुछ प्रश्न सरकार के समक्ष रखना चाहूंगा >>>>
> क्या माफ़ी मांगने वाले को ये भी अधिकार होता है कि उसे माफ़ी दी ही जाए - नहीं तो .... ????
> क्या साध्वी मंत्री बनने लायक थीं ? देशहित में सुचारू रूप से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने लायक थीं ? यदि हाँ तो फिर उन्हें जाति का कवच क्यों ओढ़ाया जा रहा है ????
> जब मोदी जी ये टेका लगा रहे हैं कि वो पिछड़ी जाति की हैं और महिला हैं और ग्रामीण पृष्ठभूमि से है इसलिए उन्हें क्षमा कर दिया जाना चाहिए - तो मैं प्रतिप्रश्न करता हूँ कि मोदी जी ये क्यों भूल गए कि वो एक साध्वी भी हैं और साध्वी के मुंह से "हरामजादा" जैसी गाली को कैसे और क्यूँ माफ़ करना चाहिए ????
> क्या ये साध्वी अगर नवाज शरीफ को हरामजादा कह देती तो क्या आप शरीफ से ये कहते कि माफ़ कर दे बे - ये महिला दलित पिछड़ी जाति की है - समझे ????
> मैं प्रतिप्रश्न पूछता हूँ कि यदि सांसद निरंजन ज्योति को उनके ही गाँव की उनकी ही जाति की कोई महिला यदि "हरामजादी" गाली से विभूषित कर देती तो अब तक उस ग्रामीण आम महिला का क्या हश्र हुआ होता ????
> और मैं हतप्रभ हूँ कि इस सबके बावजूद सत्ता पक्ष भी संसद के बाहर धरना प्रदर्शन कर कौन से 56 इंची वीरता का परिचय दे रहा है ? खुद गलती करेंगे और धरना प्रदर्शन भी ? और धरना प्रदर्शन किसके खिलाफ ? क्या विपक्ष अपने विपक्ष तक की भूमिका भी ना निभाये ? क्या सब भक्त बन आपके आगे दुम हिलाते रहें ? क्या शर्म भी बेच खाई ????
मैं ऐसी सरकार और ऐसी साध्वी सांसद को धिक्कारता हूँ और न केवल सांसद का इस्तीफ़ा मांगता हूँ अपितु जाति मुद्दे का दुरूपयोग करने के कारण पूरी सरकार का इस्तीफ़ा मांगता हूँ !!!!
हो क़ाबलियत या हिम्मत तो प्रश्नों का जवाब दो या इस्तीफ़ा !!!!

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