Wednesday 24 December 2014

//// बेटी बाप बाप बेटा - और छड़ा - और नाटक नौटंकी .... ////

परिदृश्य पटल जम्मू-कश्मीर ....
एक बाप एक बेटी - एक और बाप एक बेटा - एक पप्पू ....
एक छड़े की एंट्री .... उसने बेटी बाप और बेटे सब को भ्रष्ट बताया और नीचा दिखाया और सबको उनसे दूर रहने तक को कह दिया ....
छड़ा बहुत ताकतवर और बड़बोला ....
यहाँ तक कि उसने किसी के बेटे और बेटी होने तक का सार्वजनिक उपहास कर मारा .... जैसे किसी का बेटा और बेटी होना गुनाह हो .... और जैसे खुद वो किसी के बेटे ना हों 'pk' हों .... और खुद बाप ना होते हुए भी बिना अनुभव और मर्यादा बाप का भी मज़ाक बनाया !!!!
छड़े ने ताल ठोंक दी कि अबकी बार मेरी सरकार ....
छड़े को सरकार तो नहीं बनानी थी पर मतलब था उसके छर्रे की सरकार !!!!
अब चुनाव नतीजे आये .... छड़े ने कुछ कमाल कर दिखाया .... पर अपने बलबूते छर्रे की सरकार बनाने का दंभ या सपना टूट गया ....
पर फिर भी जिद्दी छड़े ने सरकार बनाने की जिद ठान ली ....
और अब छड़ा बेटी बेटे और बाप का मुंह देख रहा है ....
इस बीच लगता है कि पप्पू भी थोड़ा बड़ा हो गया - क्योंकि बेटी बेटा और बाप उसे भी तरजीह देने लगे ....
देखें छड़ा क्या करता है .... छड़े का कौन छर्रा सरकार बनाता है ?
छड़ा बेटी के पाँव पड़ता है या बेटे के या बाप को सर पर बैठता है ?
या पप्पू बेटी बेटा और बाप सब मिल कर छड़े को धता बताते हैं ?
नाटक नौटंकी तो अभी शुरू हुई है .... इसकी पटकथा लिखना बाकी है .... अभी तो केवल इसके पात्रों का वर्णन हुआ है ....
और हाँ जिन्हे पात्रों के नामकरण से कुछ बुरा लगा हो या उन्हें आपत्ति हो तो वो कृपया विचार करें कि सार्वजनिक जीवन में किसी का बेटी बेटा या बाप होने के नाम से उपहास करना क्या उचित है ?? विदित होवे कि ये नाटक काल्पनिक नहीं - यथार्थ है !!!!
और हमें मतलब था और है और रहेगा - 'विकास' से - केवल 'विकास' से - जिसे छड़े ने त्याग कर अनाथ बना भुला दिया है .... छिः - ये कैसा नाटक है - कैसी नौटंकी ????

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