आखिर मजबूर हो मोदी जी डरते डराते सहमे से सदन में आ तो गए - पर बोलने से परहेज़ - शायद डर के मारे कि आखिर बोलेंगे तो क्या ? सदन के बाहर वैमनस्यता से भरे बयानों के पक्ष में बोले तो गए काम से - और विपक्ष में बोले तो भी - आखिर जिन के काँधे चढ़ सत्ता पर पहुंचे उनसे भी तो दोगलाई कैसे कर सकते हैं ????
अपने को सूरमा प्रस्तुत करने वाले मोदी जी की मात्र 6-7 महीने में ऐसी दयनीय स्थिति ?? वो भी 344 का प्रचंड पूर्ण बहुमत होते हुए ??
पिछले 4 महीने में 57 से ज़्यादा चुनावी रैलियों में एक भाजपाई की हैसियत से कई घंटे और दिन खपाने वाले मोदी जी मुश्किल से 1 घंटे भी सदन में उपस्थित ना रहे ....
निश्चित ही मोदी जी की पोल खुल के रह गयी है - वो देश के प्रधानमंत्री बनने लायक नहीं !!!!
शायद अब साफ़ होता जा रहा है कि देश ने मोदी जी पर विश्वास कर गलती कर दी !!!!
पर मेरा विश्वास है कि जो जनता एक चायवाले को प्रधानमंत्री बना सकती है वो पुनः अक्षम प्रधानमंत्री को उसके सही स्थान पर ला कर पटक भी सकती है !!!!
बस आवश्यकता है बिना पूर्वाग्रह के सजग रहते देशहित में अपनी आवाज़ एक बार पुनः ससमय बुलंद करने की !!!!
अपने को सूरमा प्रस्तुत करने वाले मोदी जी की मात्र 6-7 महीने में ऐसी दयनीय स्थिति ?? वो भी 344 का प्रचंड पूर्ण बहुमत होते हुए ??
पिछले 4 महीने में 57 से ज़्यादा चुनावी रैलियों में एक भाजपाई की हैसियत से कई घंटे और दिन खपाने वाले मोदी जी मुश्किल से 1 घंटे भी सदन में उपस्थित ना रहे ....
निश्चित ही मोदी जी की पोल खुल के रह गयी है - वो देश के प्रधानमंत्री बनने लायक नहीं !!!!
शायद अब साफ़ होता जा रहा है कि देश ने मोदी जी पर विश्वास कर गलती कर दी !!!!
पर मेरा विश्वास है कि जो जनता एक चायवाले को प्रधानमंत्री बना सकती है वो पुनः अक्षम प्रधानमंत्री को उसके सही स्थान पर ला कर पटक भी सकती है !!!!
बस आवश्यकता है बिना पूर्वाग्रह के सजग रहते देशहित में अपनी आवाज़ एक बार पुनः ससमय बुलंद करने की !!!!
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