Monday 8 December 2014

//// संता की मुर्गी की मृत्यु - और अरविन्द केजरीवाल की बिज़नेस क्लास यात्रा ////

मित्रों देश और मीडिया के हालात पर शायद मैं आज ज्यादा ही व्यथित हूँ - इसलिए पहले एक सारगर्भित चुटकुला सुनाना चाहूंगा >>>>
संता की मुर्गी मर गयी - संता रोये जाए - वो भी दहाड़े मार मार के - छाती पीट पीट के - किसी के कंट्रोल में नहीं - जमीन पे लोट लगाए - पगड़ी शगड़ी इधर उधर - परिवार वाले अड़ोसी पड़ोसी जितना समझाए संता और भड़क जाए - होशो हवास भी खो बैठे ....
अब क्या किया जाए ? सबने सोचा संता के दोस्त बंता को बुलाया जाए - शायद वही चुप करा सके - तो जनाब बंता को बुला लिया गया ....
चुप हो जा संते ! चुप हो जा यार !! बंता ने प्यार से पुचकार के झप्पी डाल के सब तरीके से कोशिश कर ली - पर मजाल जो संता चुप हो जाय - संता तो बस रोता जाए रोता ही जाय ....
फिर न मालूम बंता को क्या सूझा - बंता ने संता को चटाक से एक जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया और चिल्ला कर बोला .... चुप कर बे - तेरी ऐसी तैसी फालतू रोये जा रहा है - अबे साले इतना तो मैं मेरे बाप के मरने पे भी नहीं रोया था जितना तू एक मुर्गी के मरने पे रो रहा है !!!!
मित्रों संता चुप - सब दूर सन्नाटाssss - और सबको लगा काम बन गया ....
पर ये क्या ?? दूसरे ही क्षण संता ने भी बंता को वैसा ही जबरदस्त झन्नाट थप्पड़ रसीद कर दिया चट्टाक !! और फिर चिल्ला के बोला - अबे बंते ऐसी की तैसी तो तेरी - अब पहले तू ये बता कि तेरा बाप अंडे देता था क्या ??!!@#$%????
मित्रों इस चुटकुले का जो सार है वो ये है कि - भाई सबकी अपनी अपनी स्थितियां और परिस्थितियां होती हैं - और सबको अपने अंदाज़ या सहूलियत पर छोड़ देना चाहिए - अब जैसे संता को मुर्गी के मरने पर रोना था तो उसे रोने देना चाहिए था - बंता ने थप्पड़ मार कर गलती की ना ????
ऐसे ही आप सबको मैं इस सारगर्भित चुटकुले के माध्यम से ये समझाना चाहता हूँ कि .....
// यदि अरविन्द केजरीवाल के बिज़नेस क्लास में यात्रा करने से भाजपा को इतना असहनीय दुःख पहुंचता हो जैसे उनकी मुर्गी मर गयी हो (या बाप ....) और वो सतत विलाप कर रहे हों और विलाप करते रहना चाहते हों तो उन्हें विलाप करने दिया जाना चाहिए .... //
बस मेरी आप से यही गुजारिश थी - छोटी सी बात के लिए आपको पकाया - क्षमा प्रार्थी हूँ !!!!

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