Thursday 25 December 2014

//// "भारत रत्न" के पैमाने .... ////

विद्वानों और ज्ञानियों को लगता है कि 'भारत रत्न' किसी व्यक्ति को नहीं बल्कि एक विचारधारा को मिलता है मिला है और मिलना चाहिए .... और ऐसा ही वर्तमान में भारत रत्न विषयक चल रही और चलाई जा रही बहस में ऐसे नायाब टेके कुटेके लगाने के चक्कर में कहा भी जा रहा है !!!!
मित्रों मैं स्वार्थी नहीं हूँ .... पर आज मैं भी सोच रहा हूँ कि वाकई 'भारत रत्न' तो विचारधारा को ही मिलना चाहिए .... और फिर मैं सोचता हूँ कि मेरी विचारधारा भी तो कितनी अच्छी गुणवत्ता की है - बिलकुल 'भारतरत्नि छाप' विचारधारा - और वो है 'धर्मनिरपेक्षता' से ओत प्रोत विचारधारा !!!!
और इतिहास गवाह है - मैने हमेशा जो कुछ भी किया कहा सोचा लिखा और आपको पकाया उसमें हमेशा से धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा जड़ में ना केवल रची बसी थी बल्कि घुसी हुई थी ....
याद कीजिये मैंने कितने लोगों को और एक भले-चंगे व्यक्ति विशेष को कितना बुरा भला कहा कितने ताने मारे कितने तंज़ कसे कितना विरोध किया क्योंकि मुझे उनकी करनी सांप्रदायिक लगी ....
और मैं भी पूर्व के भारतरत्नियों के समान ही डरा नहीं हिचका नहीं रुका नहीं थका नहीं पका नहीं .... थोबड़ा उठा अपने पथ पर अडिग चलता रहा .... मैंने भी महान लोगो के सेकुलरिज्म के डायलाग ही बोले .... सबका साथ सबका विकास - इंडिया फर्स्ट - विविधता में एकता - गंगा जमुनी तहज़ीब .... भाईचारा - अनेकता में एकता - आदि इत्यादि !!!!
निश्चित और निस्संदेह - मेरी विचारधारा महान है .... है ना !!!!
इसलिए भले ही मैं मोदी बुखारी आदित्यनाथ आजम खान दिग्विजय सिंह मुलायम निरंजन ज्योति अमित शाह ओवैसी भागवत आदि जैसा महान व्यक्तित्व नहीं हूँ - पर क्या मेरी विचारधारा के मद्देनज़र आप को मेरा नाम 'भारत रत्न' के लिए आगे नहीं बढ़ाना चाहिए था ????
कृपया विचार जरूर कीजियगा - और चलिए छोड़िये ये भारत रत्न की बात और गोली मारिये मुझ नकारे को और मेरे फूहड़ व्यंग्य को - पर निवेदन है आप कम से कम आपके विचारों को विचारधारा में बदल लीजियेगा - वही धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा - क्योंकि ये विचारधारा ही है जो काम की है बाकी तो सब मिथ्या है - कोरी मिथ्या !!!!

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