Wednesday 3 December 2014

//// राजनीति में तारीफ़ के मायने ////

53 साल से बाबरी के पक्ष में मुकदमा लड़ रहे 93 वर्षीय काबिल बुज़ुर्ग मोहम्मद हाशिम अंसारी साहेब ने मुकदमे से हटने की घोषणा करते हुए कह दिया "बहुत हुआ, आज़ाद हों रामलला" ....
और जैसे ही घोषणा हुई बहुत दिनों से सुप्तावस्था में धकेल दिए गए 'लव-जेहादी बाबा' योगी आदित्यनाथ में करंट दौड़ गया - और उन्होंने नींद से उठे-उठे बिना मुंह धोये बांसी मुंह से हाशिम के बयान और हाशिम की तारीफ कर मारी ....
और विशेष रूप से ध्यान योग्य बात यह है कि बाबरी पक्ष या मुसलामानों से जुड़े किसी भी राजनीतिक व्यक्ति ने ना तो हाशिम साहेब की तारीफ करी ना ही समर्थन ....
मेरी विवेचना >>>>
अरे भाई ये तो आपको कोई भी रामजादा भक्त तक बता देगा कि क्योंकि योगी आदित्यनाथ को हाशिम साहेब के बयान में अपना स्वार्थ सिद्ध होते दिखा तो लपक कर जुबान लपलपाये कर दी उनकी तारीफ ....
खैर ये वाक़या तो कल का है पर आज ऐसा ही एक और वाकया हो गया - जब अभी-अभी टीवी में समाचार आया कि ओबामा ने मोदी की दोबारा तारीफ करी ....
और इसलिए मैं सोचने पर मजबूर हूँ कि ये मोदी के निमित्त ओबामा और अमेरिका के भी कहीं स्वार्थ सिद्ध तो नहीं हो रहे ???? आखिरकार मोदी जी के अभी तक के सारे क्रियाकलापों में मुझे उनके कुछ चहेते उद्योगपतियों या यूं कहें धंधेबाज़ों को छोड़ अन्य आम भारतियों का कोई फायदा होते तो दिखा नहीं - हाँ भारत के बाहर के कई लोग बिंदास खुश जरूर दिख रहे हैं जैसे कि उनका 'सीईओ' सही जगह पर 'सेट एंड फिट्ट' हो गया हो - वो तो मोदी जी के "Come - Make In India" के नारे से भी ऐसे ही खुश दिख रहे हैं जैसे कई भक्त लोग लंगर भंडारे के न्यौते से खुश हो जाते हैं !!!!
आज मुझे फिर अहसास हो रहा है कि राजनीति में तारीफ के मायने किसी के लिए अच्छे और किसी के लिए खतरनाक हो सकते हैं .... इसलिए मित्रों मेरा आपसे निवेदन है कि ओबामा की तारीफ के लिए भक्तों को हाथ पाँव से तालियां पीटने दें क्योंकि वो वैसे भी मानने वाले नहीं हैं - पर आप तो सजग सावधान ही रहें तो बेहतर - धन्यवाद !!!!

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