Monday 8 December 2014

//// प्लेटों की आवाज़ > खाना आने की आहट ? या खाने के उपरांत वॉशबेसिन में पटकने की ? ////

भाजपा नेता और जानेमाने पत्रकार विद्वान श्री अरुण शौरी ने कल मोदी सरकार पर एक चुटीली सी तथ्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा ....
// "प्लेटों के आने की आवाज़ आ रही है - पर खाना नहीं आ रहा" // ....
मैं शौरी जी का व्यक्तिगत रूप से बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूँ और आज उनकी अपनी ही पार्टी के विरुद्ध मुद्दे की बात पर सारगर्भित और साहसभरी टिप्पणी की भी दिल से प्रशंसा करता हूँ ....
और कुछ देर के लिए विषय से इतर - आज मैं शौरी जी द्वारा लगभग 20 वर्ष पूर्व उस टिप्पणी को भी याद करते हुए आप से share करना चाहूंगा जिसका आशय था कि .... सरकार के लिए "SECULARISM" के मायने ये होना चाहिए कि किसी भी धर्म या धार्मिक गतिविधि से सरकार का कोई सरोकार नहीं हो - ना कि ये कि - सरकार प्रत्येक धर्म को बराबरी से तोके और महत्व देवे .... और मैं आज भी विश्वास करता हूँ कि यदि विद्वान शौरी जी की इस बात का इस देश में अनुसरण हो जाए तो इस देश का बहुत भला हो सकता है .... इसलिए आप से भी अनुरोध है कि इस विषयक आप भी गंभीरता से सोचें - विशेषकर एक और भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज के कल ही दिए उस बयान के परिप्रेक्ष्य में जिसमें उन्होंने गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग की है !!!!
खैर अब मूल विषय "प्लेट - खाने" वाली बात पर लौटते हुए मैं उसी सन्दर्भ में अपनी तरफ से भी एक टिप्पणी करना चाहूंगा ....
कि "खाना नहीं आ रहा है" यह तो अकाट्य सत्य है ....
और "प्लेटों की आवाज़ भी आ रही है" यह भी सत्य है ....
// पर ये प्लेटों की तथाकथित आवाज़ मुझे खाना आने की आहट इंगित ना करते हुए ये आभास दे रही है कि कोई इन प्लेटों में खाना खा चुका है और इन झूठी प्लेटों को वॉशबेसिन में पटका जा रहा है .... एक बार फिर से साफ़ कर माल-ताल सूतने के लिए // ....

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