Friday 5 June 2015

//// जब विश्वास टूट जाता है तो आसानी से जुड़ता नहीं ....////


"वन रैंक वन पेंशन" पर मोदी जी ने 'मन की बात' से बहुत कुछ बोला था ....

और उसका लुब्बेलुबाब यही था कि ..... मोदी जी ने स्वयं सैनिकों के बीच वायदा किया था - वो वायदा पूरा करेंगे - ४० साल किसी ने कुछ नहीं किया - पर वो करेंगे - वो ही करेंगे - विश्वास रखें - मामला थोड़ा पेचीदा है - समय लगेगा - पर पक्का पक्का पक्का वन रैंक वन पेंशन सरकार लागू करेगी ही - और यही सरकार लागू करेगी ....

और इसके बावजूद सेना के जवान 'मन की बात' से पूर्व ही घोषित १४ जून को एक रैली निकालने के अपने निर्णय पर कायम हैं ....

मेरा सोचना है कि जैसे पूर्व सरकारों पर लोगों का विश्वास उठ चुका था - वैसे ही मोदी जी पर से भी लोगों का विश्वास उठ चुका है ....

वैसे व्यक्तिगत रूप से मेरा ऐसा मानना है कि सेना ने मोदी जी को कुछ समय और दे देना चाहिए .... और मोदी जी को एक बार फिर सेना के जवानों से बात कर उन्हें विश्वास दिलाना चाहिए - विश्वास नहीं तो भरोसा दिला दें - भरोसा नहीं तो इत्मीनान करा दें - या फिर यकीन दिला दें - या जो चाहे कर दें - पर रैली को रुकवा दें और अपना वायदा पूरा कर दें ....
यानि दोनों पक्षों को समझदारी का परिचय देना चाहिए - वैसा ही और उतनी ही समझदारी का परिचय जितना कुछ लोग केजरीवाल और नजीब जंग से आशा करते हैं .... ठीक है ना ????

पर शायद ऐसा होगा नहीं .... क्योंकि जब विश्वास टूट जाता है तो आसानी से जुड़ता नहीं .... और तीर जब कमान से निकल जाता है तो वापस आता नहीं !!!!

इसलिए लगता है १४ जून को सैनिकों की रैली भी होगी - "वन रैंक वन पेंशन" पर अभी तत्काल कोई निर्णय भी नहीं होगा - और समझदार केजरीवाल नजीब जंग को चैन से बैठने भी नहीं देंगें !!!!

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