Monday 8 June 2015

//// "फ़िनलैंड की शिक्षा" - बनाम - "योग" ....////


एबीपी न्यूज़ पर एक नई श्रंखला शुरू हुई है - "रामराज्य" - जिसे बहुत पसंद किया जा रहा है - और समाज के अमूमन सभी वर्गों द्वारा इसकी उन्मुक्त प्रशंसा हो रही है ....

इसी कड़ी में शिक्षा में रामराज्य के तहत इसके एक एपिसोड में फ़िनलैंड की शानदार सफलतम एवं  अनुकरणीय शिक्षा प्रणाली एवं व्यस्था संबंधित जानकारियां दी गई हैं ....

ये एपिसोड इतना अच्छा और उपयोगी था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने तुरंत ट्वीट कर इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा कर दी ....
और तो और दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने भी इसी एपिसोड के फॉलोअप प्रोग्राम में शिरकत करते हुए इस एपिसोड की ना केवल प्रशंसा करी बल्कि इसे अनुकरणीय और उपयोगी बता अपने स्तर पर भी ऐसा ही कुछ कर गुजरने की इच्छा और प्रतिबद्धता भी जता दी ....
और अभी-अभी समाचार आया है कि आज १२ बजे दिल्ली सरकार ने इसी विषयक एक बैठक भी बुला ली है ताकि फिनलैंड से प्रेरणा लेकर आगे दिल्ली के लिए भी कुछ वैसा ही किया जा सके ....

यानि कुल मिलाकर यदि मैं इसे राजनीतिक नज़रिये से देखूं तो केजरीवाल की 'आप' पार्टी इस मुद्दे को हाथों हाथ ले उड़ी है और - स्मृति ईरानी और भाजपा ताकते रह गए हैं .... परिणाम भाजपा सकते में है - निर्लिप्त - निर्जीव - और अभी तक एक शब्द प्रशंसा तक का नहीं ....

ठीक है !! जिस बात की केजरीवाल तारीफ कर दें - भाजपा भी वही करे - राजनीतिक रूप से श्रेयस्कर नहीं - अपेक्षित भी नहीं - संभव भी नहीं !!!!

पर अब उठता है एक बड़ा प्रश्न ???? .... क्या यही बात "योग" प्रकरण पर लागू नहीं होती ????

सर्वविदित है कि योग श्रेष्ठ है और इसकी आलोचना हो ही नहीं सकती .... और मोदी जी ने इसके लिए पहल करी - इसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता दिलवाई - और सारे श्रेय का सेहरा अपने सर बाँध २१ जून को इसे महोत्स्व के रूप में व्यापक स्तर पर मनाने की घोषणा कर दी ....

पर मोदी के योग महोत्सव से कुछ लोगों को परहेज़ हो रहा है .... और इसलिए कुछ भक्तों का पेट दर्द हो रहा है ....

दरअसल इसके पीछे कारण ये है कि "योग" तो सर्वस्वीकार्य है अपने गुणों के कारण - लेकिन मोदी सर्वस्वीकार्य नहीं है अपने दुर्गणों के कारण .... और दुर्गुण हैं विरोधियों के प्रति अनावश्यक आक्रामकता असहिष्णुता और कूट-कूट ठूंस-ठूंस भरा दम्भ एवं अहंकार !!!!

इसलिए यदि मोदी और भाजपा और भक्त और स्मृति ईरानी "फ़िनलैंड शिक्षा मॉडल" को कोई भाव नहीं देते - तो यदि विरोधी भी मोदी के योग महोत्सव को तरजीह नहीं देते या टीका-टिप्पणी करते हैं तो - चिल्लपों मचाने की आवश्यकता और प्रासंगिकता नहीं है ....

अतः सूचित हो !! .... कोई सरकार शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कार्यरत है - कोई इवेंट मैनेजर योग की ब्रांडिंग हेतु सक्रिय !! .... हा !! हा !!

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