Sunday 28 June 2015

//// सिर्फ अपने मन की बात ? बलात्कारी प्रवृत्ति नहीं ??....////


ना मालूम क्यों आज मुझे केवल अपने मन की बात करने वालों के प्रति नफरत का भाव पैदा हो रहा है ....

जिस व्यक्ति को किसी दूसरे पक्ष या तीसरे पक्ष के बारे में कोई संवेदना ना हो और वो केवल मैं मैं और मेरा मन और मेरे मन की बात ही करता रहे - और जो किसी अन्य के मन की बातें न कहे - जनता के मन की बातें न करे - तो क्या ऐसा व्यक्ति स्वयं तानाशाह होने या बलात्कारी प्रवृत्ति का होने का परिचय नहीं देता ????

जो मेरी बात से सहमत नहीं होंगे मैं मानता हूँ कि शायद उन्हें नहीं मालूम होगा कि ये बलात्कार बला क्या है - और जो करता है वो तो मन की बात करता होगा पर जिस पर करता है उसके लिए ये कितना भयावह और पीड़ा दायक होता होगा !!!!

यकीनन समय आ गया है कि इस देश में "मन की बात" बंद हो .... अब कुछ बात दिल और दिमाग की भी हो - कुछ बात ईमान की भी हो - कुछ बात विश्वास परोपकार की भी हो - कुछ कायदे कानून और नैतिकता की भी हो - और कुछ जवाबदारी और जिम्मेदारी की भी तो हो !!!!

अब बहुत हुआ ....

कांग्रेस मनमोहन सोनिया की बात बहुत हो गई - अब कुछ बात भाजपा मोदी संघ की भी तो हो ....
बहुत हुई राजा कलमाड़ी बंसल तोमर की बात - अब सुषमा वसुंधरा पंकजा ईरानी की बात भी तो हो....
बहुत हुई नरेंद्र मोदी की बात - आज ललित मोदी की बात भी तो हो ....
बहुत हुई ५६" सीने की बात - आज बिल में घुसने की बात भी तो हो ....
फेंकम फांक बहुत हुई - कुछ ज़मीनी बात भी तो हो ....
बेशर्मी बहुत हुई - शर्म की बात भी तो हो ....
बलात्कार बहुत हुए - अब बलात्कारी को सजा भी तो हो ....
है ना !!!!

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