Thursday 28 May 2015

//// क्या हुआ "वन रैंक वन पेंशन" ? .. है कोई बहाना ??....////


मोदी जी ने कई वायदे किये थे - बुलेट ट्रेन - सबके लिए मकान स्कूल अस्पताल शौचालय - स्मार्ट सिटी - कालाधन वापसी - महंगाई कम - ज्यादा रोज़गार - नमामि गंगे - आदि .... पर ऐसे सारे वायदे पूरे नहीं किये .... और बहाना ये कि ये सारे काम  अब एक दिन में तो हो नहीं सकते - कोई जादू की छड़ी तो है नहीं .... और देश की जनता ने भी भर ली ठंडी सांस - कि ठीक है सही कहते होंगे .... अब किया भी क्या जा सकता है ??

पर ऐसे ही कई वायदों में एक वायदा अनूठा था - और वो वायदा भी बकायदा ऐसा था कि आज भी कोई तड़ीपार उसे "जुमला" नहीं कह सकता - क्योंकि वायदा मोदी जी के मुँह से सीधे सीधे सीधी भाषा में किया गया वायदा था - जी हाँ - वो वायदा था - "वन रैंक वन पेंशन" ....

अब इस वायदे को पूरा करने में ना तो जमीन लगनी थी - ना डीज़ल लगना था ना सीमेंट ना लोहा ना यूरेनियम ना यूरिया ना दवा न दारू ना मजदूर ना सूट ना धोती .... ना कोई गिरारी घूमनी थी - ना कोई कला लगनी थी .... ना वन विभाग की अनापत्ति ना पर्यावरण का लफड़ा ना मत्स्य विभाग की सलाह .... ना ही किसी विपक्षी दल के किसी भी विरोध की संभावना .... ना ही किसी भी संस्था या केजरीवाल का विरोध .... इसमें तो ना किसी 'मेक इन इंडिया' का लफड़ा था - ना किसी विदेशी सहायता की आवश्यकता - और ना 'डिजिटल इंडिया' की दरकार - और ना लोकसभा ना राज्यसभा !!!!

इस वायदे को पूरा करने के लिए तो बस दो चार पन्ने का एक आदेश और पेंशन के भुगतान के लिए आवश्यक राशि भर लगनी थी .... जो अभी-अभी कोयला खदानों के आवंटन से प्राप्त हो ही चुकी थी जिसकी घोषणा भी स्वयं मोदी जी ने विदेशी धरती पर करी थी .... 

पर ये वायदा पूरा नहीं किया गया - और इसलिए फौजियों में रोष है - और आज नाराज़गी का इज़हार भी हो गया जब कुछ पूर्व जांबाजों ने फ़ौज के किसी सरकारी कार्यक्रम में पधारने का सरकारी न्यौता ठुकरा दिया .... और मुझे लगा जैसे फौजियों ने इस सरकार को एक ठोकर से ठुकरा दिया ....

आज मुझे तो साफ़ हो चला है कि मोदी जी केवल फेंकते है .... उन्होंने "वन रैंक वन पेंशन" का वायदा पूर्ण नहीं किया - और इसलिए मैं उनके बारे में यही कह सकता हूँ कि - ये किसी को पेंशन नहीं देने वाले - हाँ ये "टेंशन" ज़रूर देते रहेंगे !!!!

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