Wednesday 13 May 2015

//// जनहित में आवश्यकता तो केवल इस बात की थी कि मोदी जी का फोटो वर्जित होता....////


सर्वोच्च न्यायलय ने निर्णय दे दिया है कि अब से सरकारी विज्ञापनों में सिर्फ राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मुख्य न्यायाधीश और गांधीजी की फोटो ही लग सकेगी ....

निर्णय स्वागत योग्य है ....

पर इसके आगे मैं तो यह सोचता हूँ कि सरकारी विज्ञापन पर ही पूर्ण रोक लगनी चाहिए .... इसका एक मुख्य कारण ये है कि ये सरकारी विज्ञापन मुख्यतः मीडिया को जनता के पैसे से सरकारी रिश्वत देने का अनैतिक घटिया वैध तरीका है ....

और इसके इतर मैं यह भी सोच रहा हूँ कि मित्रो मुझे तो याद नहीं पड़ता कि पूर्व में मैंने कभी राष्ट्रपति या मुख्य न्यायाधीश का फोटो किसी भी विज्ञापन में देखा हो - या फिर गांधीजी का ही ....
हाँ गांधीजी के चश्मे के साथ मोदी जी का फोटो तो हर पेज पर दिख जाता है .... वही सफ़ेद दाढ़ी वाला फोटो ....

और हाँ मोदी जी के अलावा जो भी फोटो छपते हैं वो तो इतने इत्तू से साइज के हो जाते हैं कि कहा जा सकता है कि पूरे पेज के विज्ञापन में खाली पड़ी जगह में दो चार चेहरे इधर उधर चिपक चेंट या फिट भी हो गए तो कौन विज्ञापन की कीमत पर अतिरक्त भार आता होगा ??

इसलिए जनहित में आवश्यकता तो केवल इस बात की थी कि मोदी जी का फोटो वर्जित होता तो बेहतर होता ....
पर मित्रो न्यायालय का निर्णय तो सर आँखों पर !! ऐसा करना ही पड़ता है - जैसे सलमान जयललिता  का निर्णय भी सर आँखों पर उठाने के लिए मजबूर जो हैं .... है ना !!!!

No comments:

Post a Comment