Sunday 10 May 2015

//// दुर्घटना के बाद भागूं या खड़े रहूँ ????....////


मित्रो सड़क दुर्घटनाएं आम बात हैं ....
और दुर्घटना के बाद 'रोड रेज' के वाकये भी आम रहे हैं ....

और हम हिंदुस्तानियों की फितरत रही है कि यदि ट्रक से एक मुर्गी भी मर जाए तो अव्वल तो ट्रक ड्राइवर को मारा ही जाए - क्लीनर को तो बक्शा ही ना जाए - और ट्रक में बैठे अन्य को भी क्यों छोड़ा जाए .... और फिर ट्रक को आग लगाकर अपनी बहादुरी को पुख्ता कर ही लिया जाए .... और यदि इससे भी मन न भरे तो हाईवे पर खड़े ८-१० ट्रको को भी निपटा दिया जाए केवल इसलिए कि रोड पर खड़ी वह वस्तु भी डिट्टो वही वस्तु है जिसने मुर्गी मारी थी .... और इसके बाद यदि ससुरी पुलिस आकर आपको डराए भगाए या मारे तो फिर क्या - सड़क पर खड़ी हर वस्तु को निपटा दिया जाए - सड़क किनारे लगी दुर्घटना की साक्षी दुकानों को भी नष्ट कर दिया जाए - और उसके बाद लोकल राजनीति के मद्देनज़र हो सके तो शहर बंद - प्रदेश बंद - या फिर बड़े नेताओं के दिशानिर्देश और मार्गदर्शन में देश भी बंद कराया जाकर एक अच्छे सक्रिय कार्यकर्त्ता होने का परिचय दिया जाए ....

यानि रोड की दुर्घटना कैसी भी हो - 'रोड रेज' का असर तो गजब होता है .... ये किसी को भी निपटा दे - या किसी को भी नेता स्थापित करा दे .... इसकी महिमा अपरम्पार है भाई !!!!

तो मित्रो ऐसी स्थिति में मैं आप से पूछता हूँ कि कल्पना करें आप के वाहन से सड़क दुर्घटना में किसी बच्चे को गंभीर चोट लग जाती है .... तो आप स्वयं क्या करेंगे .... वहां हिम्मत के साथ मूर्खता का परिचय दे खड़े रहेंगे मरने के लिए .... या कायरता के साथ बुद्धिमानी का परिचय दे वहां से भाग लेंगे - यानि 'हिट & रन' ????

मित्रो सलमान का केस है 'हिट & रन' .... और अभी दिल्ली में एक डीटीसी बस ड्राइवर का केस है - जो मोटरसाइकिल से दुर्घटना पश्चात वहां से कायरता दिखा भागा नहीं - और बेचारा 'रोड रेज' का शिकार हो अपनी जान से हाथ धो बैठा .... कल दिल्ली में इसी बात को लेकर बसों की हड़ताल है .... हड़ताल के दौरान और बाद में क्या होता है - खबरिया चैनल परस-परस कर नमक मिर्ची जीरा धनिया सब लगा बता ही देंगे ....

मित्रो पड़ गए न उलझन में .... यानि हिट करने के बाद भागें या नहीं ????
अपने किसी परिवार के सदस्य की दुर्घटना हो जाए तो आप चाहेंगे कोई न भागे सब उसकी मदद करें - पर जब आपके परिवार के सदस्य से दुर्घटना हो जाए तो आप चाहेंगे वो भाग कर सबसे पहले तो अपनी जान बचाए - किसी लफ़ड़े में ना पड़े !!!!

तो समाधान क्या है ???? .... मेरे हिसाब से समाधान ये है कि किसी भी दुर्घटना के बाद की किसी भी 'रोड रेज' की घटनाओं के विरुद्ध सख्त कानून बने और दुर्घटना के बाद किसी भी जान या माल को क्षति पहुँचाने वाले बहाद्दुर पुरुषार्थियों पर हत्या जैसे गंभीर प्रकरण दायर हों ....
और ये कैसे संभव है ???? .... गडकरी जी हैं ना - उनका यही तो काम था - पर वो तो शायद कुछ अन्य "पूर्ती" में उलझे हैं .... है ना ????

तो तब तक सोचते रहिये - 'हिट एंड रन' - हिट & हेल्प & डाई' - और 'रोड रेज' के बारे में .... और कुछ निष्कर्ष पर पहुंचे तो कृपया मोदी जी तक अपनी बात पहुंचाएं .... और आशा करें कि वो कुछ करेंगे .... आशा तो कर ही सकते हैं ....
और यदि मेरी बात समझ में नहीं आई हो तो सड़क पर वाहन या तो चलाएं ही नहीं - या बहुत सावधानी से चलाएं - और यदि फिर भी कोई दुर्घटना हो जाए तो अपने धर्मगुरु साधू संत मौलवी को मोबाइल लगाकर पूछें कि भागूं या खड़े रहूँ ???? या आपका सीधा संपर्क आपके ईश्वर या अल्लाह से हो तो सीधे पूछ लेवें !!!!

2 comments:

  1. रोड रेज के मामले में हिंसा करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही का क़ानून बने ,दुर्घटना बिना किसी दुर्भावना के एक अनचाही गैर इरादतन घटना है जबकि रोड रेज एक जानबूझ कर की गई हिंसक वारदात ,जो माफ़ी के काबिल नहीं और दुर्घटना से भी कई गुना बड़ा
    गंभीर अपराध है .इस पर यदि कोई राजनीतिक दल न लावे तो प्राइवे बिल के द्वारा क़ानून बने .

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