Wednesday 13 May 2015

//// 'पी.आर. एजेंसी' ने भी सरकार के फटे में थेगड़े लगाने का ठेका लेने से इंकार कर दिया क्या ??....////


और मोदी सरकार आ गई - अब देखना अच्छे दिन कैसे आते हैं ....
३० दिन पूरे - अब शुरुआत करने में समय तो लगता है ....
१०० दिन पूरे - हनीमून पीरियड तो चाहिए ....
६ माह पूरे - जो लोग ६० साल कुछ नहीं किये वो हमसे ६ महीने का हिसाब मांग रहे हैं ....
९ महीने पूरे - बच्चा पैदा करने में भी ९ महीने लगते हैं .... समय तो देना होगा ....

और ऐसे समय निकलता गया .... और अब होने को आया १ साल - पूरा १ साल !!!!
तो अब क्या कहा जाए ????

हमारी सरकार आर्थिक मोर्चे पर अभी भले ही फेल दिख रही हो, पर दीर्घकालिक तौर पर उसकी नीतियों का जनता को लाभ जरूर मिलेगा - लोकलुभावन नीतियां जनता को फौरी राहत तो देती हैं, पर ये अक्सर देशहित में नहीं होती .... आपने प्रधानमंत्री चुना है कोई जादूगर नहीं .... कांग्रेस को हमसे प्रश्न करने का तो कोई अधिकार ही नहीं ....
और केजरीवाल !! .... छोडो यार उसकी तो बात ही नहीं करो - फ़ोकट में ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं !!!!

अब ये बात जनता के दिमाग में कैसे ठूंसी जाए ????

मित्रो कल भाजपा संसदीय दल की बैठक थी - और उसमें संसदीय कार्य मंत्री वेंकैय्या नायडू ने प्रधानमंत्री की उपस्थिति में सभी सांसदों को निर्देश दिया कि वे 'दैनिक जागरण' में छपे प्रधानमंत्री के साक्षत्कार को पढ़ें, उसे समझे, और उसी आधार पर अपने-अपने क्षेत्र में जवाब भी दें - मंत्रालय की और से सभी पार्टी सांसदों को साक्षात्कार का लिंक भेज दिया गया है ....

मित्रो उपरोक्त वर्णन से निम्नलिखित बात स्थापित होती है ....

सांसदों को भी अब ट्रेनिंग देनी पड़ रही है कि उन्हें क्या समझना है और फिर जनता के बीच जाकर क्या बोलना है .... और ऐसा इसलिए कि सतही ऊपरी भीतरी और फौरी तौर पर मोदी सरकार की उपलब्धियों का बखान करने के लिए कुछ भी समक्ष में नहीं है - 'जीरो' 'निल' - 'निरंक' 'सन्नाटा' .... यहाँ तक कि अब तो फेंकना भी मुश्किल ही है !!!!

पर किया क्या जा सकता है ?? क्या यही कि - दीर्घकाल तक इंतज़ार किया जाए कि दीर्घकालिक नीतियां दीर्घकाल में कभी तो 'फौरी तौर' पर ही सही कुछ राहत तो देंगी ????

मित्रो आशा करता हूँ आपको उपरोक्त प्रश्न से फौरी तौर पर तो समझ आ ही गया होगा कि - मोदी सरकार की हालत कितनी दयनीय हो गई है .... शायद अब तो किसी भी 'पी.आर. एजेंसी' ने भी सरकार के फटे में थेगड़े लगाने का ठेका लेने से इंकार कर दिया है .... इसलिए ही तो अब फ्री फ़ोकट में घरेलू पालतू सांसदों को ही ट्रेनिंग देनी पड़ रही है - कि सुनो समझो ठीक से समझो स्वयं मोदी गुरु का लोकल ज्ञान - और बघार दो फैला दो जनता के सामने - जो होगा देखा जाएगा ....

अभी एक साल पूरा होने के उपलक्ष में और जुगाड़ में फौरी तौर पर गरीब के मरने पर उसे सुरक्षा देने की पुरानी वाली नई स्कीम लॉन्च की है ....
अगले साल गरीब को मार कर उसे सुरक्षा राशि देकर खुद को महामंडित कर लेंगे - या कुछ न कुछ रास्ता तो अवश्य ही निकाल लेंगे .... ठीक है ????

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