Monday 25 May 2015

//// 'अच्छे दिन' नहीं आये तो क्या - 'बुरे दिन' तो गए ना ??....////


मोदी जी का मथुरा से जोशीला भाषण सुना - लफ़्फ़ाज़ी से भरपूर - हमेशा की तरह घिसा पिटा .... और इस बार तो सड़ा गला भी !!!!

पर केवल एक विशेष नई बात टीप करी .... निश्चित ही मोदी जी को लग चुका है कि 'अच्छे दिन' वाला नारा तो सड़ गल चुका है ....
तो आज उन्होंने नई बात उछाल दी - बोले कि 'बुरे दिन' गए कि नहीं ????

मेरा मोदी जी से कहना है कि क्या फर्क पड़ता है कि हम बोलें कि मोदी जी फेंकू हैं या ये बोलें कि मोदी जी कभी यथोचित बात तो करते ही नहीं ....

और इसलिए मैं भी आज पुरानी बात को भूल फिर यही नई बात कहूँगा कि मोदी जी ने आज भी कोई नई यथोचित बात नहीं कहीं .... मुझे लगा कि उनके पास कोई ठोस उपलब्धि बताने के लिए थी ही नहीं - इसलिए थोड़ा इधर उधर रिपैकेजिंग कर उंडेल दी - और आगे के लिए कुछ और विश्वास वायदे - बस !!!!

तो मित्रो !! निर्णय आपको करना है कि मोदी को यदि फेंकू न कहा जाए तो क्या कहा जाए ????

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