Monday 4 May 2015

//// निंदा केवल साम्प्रदायिकता की ही हो तो बेहतर !!....////


अमेरिका के टेक्सास में एक प्रतियोगिता का आयोजन हुआ .... और यह प्रतियोगिता थी - पैगंबर मोहम्मद साहब पर कार्टून बनाने की प्रतियोगिता - और इस प्रतियोगिता का आयोजन इस्लाम की आलोचना करने वाले एक रूढ़िवादी संगठन ने किया था - पैगंबर मोहम्मद का ‘बेस्ट कार्टून’ बनाने वाले के लिए 10 हजार डॉलर के ईनाम की घोषणा भी की गई थी ....

इसे क्या कहेंगे - 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' ????????

इसी दौरान आयोजन स्थल पर चलती कार से २ लोगों द्वारा अंधाधुंध फायरिंग की गई ....

क्या इसे भी नहीं कहेंगे - 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' ????????

और सुरक्षाकर्मियों ने जवाबी कार्यवाही कर दोनों को ढेर कर दिया ....

तो इसे क्या कहेंगे - हिंसा या कर्त्तव्यपरायणता ?????????

मित्रो यदि आप पूरे प्रकरण की व्याख्या करने बैठेंगे तो शब्दों के जाल में उलझ जाएंगे .... मेरे हिसाब से जो सबसे पहला कृत्य हुआ कि एक वाहियात प्रतियोगिता का आयोजन हुआ वह निंदनीय और अस्वीकार्य है - और इसलिए उसकी प्रतिक्रिया में जो हुआ वह उचित भी अनुचित भी ....

गोली चलाकर अपनी 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' का मज़ा ले रहे उन दो लोगों ने जो किया वो उचित भी ठहराया जा सकता है ....
उन दो लोगों का मरना उनुचित भी ठहराया जा सकता है ....

इस 'उचित' 'अनुचित' में बहुत झीना सा फर्क है .... पर साम्प्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता वाली सोच में एक बहुत बड़ा फर्क है ....

साम्प्रदायिकता संकुचित है छोटी है - बहुत गन्दी चीज़ है - ये नफ़रत का कारण बनती है ....
धर्मनिरपेक्षता वृहद और व्यापक है - बहुत आवश्यक और अच्छी चीज़ है - ये प्यार और भाईचारे को जन्म देती है ....

इसलिए पूरे प्रकरण में निंदा केवल साम्प्रदायिकता की ही हो तो बेहतर !! 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' पर बात फिर कभी ..... !! धन्यवाद !!

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