Wednesday 27 May 2015

//// इसे बोलते हैं दमखम से दहाड़ना .... जिसके लिए सूझ-बूझ भी लगती है ////


दिल्ली की विधानसभा में विशेष सत्र के अंत में केजरीवाल बोले ....
जो बोले - मैं इसे दमखम से दहाड़ना निरूपित करता हूँ ....

और अब जो विरोधियों द्वारा बोला जाता रहेगा शायद वो चिल्लाना फाँकना या फिर भोंकना मिमियाना खिसियाना आदि कहलायेगा ....

एक बात और - जिसे भक्त अभी तक दहाड़ने की संज्ञा देते थे कृपया गौर फरमाए - दहाड़ने में, चिल्लाने में और फांकने में फर्क होता है .... और मूल फर्क ये है कि - दहाड़ने में सूझ-बूझ की आवश्यकता भी होती है - चिल्लाने में सूझ-बूझ आवश्यक नहीं होती - और फेंकने में सूट-बूट बहुत सहायक होता है !!!!

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