Tuesday 26 May 2015

//// मनीष सिसोदिया - और - योगेन्द्र यादव....////


मित्रो कल मोदी और नजीब जंग के पक्ष में उगते कुकुरमुत्तों को ठंडा करने के लिए मीडिया में आए थे - 'आप' पार्टी के विश्वसनीय नेता दिल्ली के उपमुख्यमंत्री गहर-गंभीर मनीष सिसोदिया ....

और उन्होंने कई चैनलों पर दिल्ली में अधिकारों को लेकर मुख्यमंत्री केजरीवाल और नजीब जंग (जिन्हे हिंदी में उपराज्यपाल और अंग्रज़ी में लेफ्टिनेंट गवर्नर भी माना जाता है) के बीच टकराव के संबंध में और अपनी सरकार की १०० दिन की उपलब्धियों के विषयक बातें रखीं ....

मित्रो मनीष सिसोदिया के साक्षात्कार कल इतने सटीक और संतुलित थे कि सुन कर बहुत इत्मिनान हुआ और अच्छा लगा - इतना अच्छा लगा कि मैं सोच रहा था कि वे दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री बनेंगे या केजरीवाल की केंद्र सरकार में महत्त्वपूर्ण कैबिनेट मंत्री !!!!

वैसे तो कल मैंने योगेन्द्र यादव को भी टीवी पैनल पर डिबेट करते सुना - और मुझे लगा कि क्या हुआ उस 'संवाद' का और उस 'स्वराज' का ? .... क्या हुआ हरियाणा के मुख्यमंत्री का ? .... किसको मज़बूत किया किसको कमज़ोर .... और सबसे अहम - खुद क्या खोया खुद क्या पाया ?? .... अब क्या होगा पार्टी डेमोक्रेसी का ? और यदि कुछ होना होगा तो किस पार्टी का ?? क्या होगा पारदर्शिता का - अब क्या और कहाँ झंकवाओगे ?? या फिर किस पर्दे को पारदर्शित प्रदर्शित करोगे ?? .... ये सब प्रश्न इसलिए भी कि स्वराज संवाद में तो अभी कुछ प्रदर्शित ही नहीं हुआ है - प्रशांत भी शांत हो गए हैं - और पारदर्शिता तो बहुत दूर की कौड़ी हो गई दिखती है !!!!

मित्रो !! जरूरी नहीं की हर व्यक्ति हर कार्य स्वयं ही सिद्ध कर सके भले ही वो व्यक्ति योग्य योगेन्द्र ही क्यों न हो .... कभी कभी अपने या अन्य सामाजिक सेवा के काम सिद्ध करने के लिए अति उत्तम होता है कि आप योग्य सहयोग या तो ले लें या दे दें .... उदाहरणार्थ - मैं जो कुछ होता देखना चाहता हूँ वो मैं केवल केजरीवाल को पूर्ण सहयोग देकर ही होने की कल्पना कर सकता हूँ - और शायद मैं वही कर भी रहा हूँ !!!!

1 comment:

  1. बकवास ... केजरी की अंध-भक्ति में इतना डूबे कि सारी दुनिया को मूर्ख समझने लगे ... सारी दुनिया की समस्याएं सिर्फ़ केजरी सुलझाएगा ऐसा मान बैठे ... केजरी के अपरिपक्व अनैतिक अराजक दमनकारी तरीकों के सिवा बाकी सारी विचारधाराओं को झुठलाने लगे ... और कुछ नहीं ... आपके महानायक को सिर्फ़ इतनी राय दें ... जिस लोकपाल के लिए अपनी कुर्सी की कुर्बानी का ढोंग किया था, उस दिल्ली-लोकपाल को जल्द लागू करके दिखाए ... बुलाए विधानसभा का विशेष सत्र ...

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