Friday 8 May 2015

//// 'स्मार्ट सिटी' नहीं - देश को 'स्मार्ट कानून' की आवश्यकता है ....////


सलमान खान को ज़मानत मिल गई .... शायद ये टुच्ची सी घटना स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे महत्त्वपूर्ण घटनाओं में से एक घटना मानी जाएगी .... 

१३ साल पहले सलमान ने दारू पीकर फुटपाथ पर सो रहे ४ लोगों पर गाड़ी चढ़ा दी थी .... और आज हम भी दो तीन दिन से भुगत रहे हैं उस वाकये के परिणाम .... पक गए ऐसा फूहड़ टीवी कवरेज देख कर ....

पर अब भी जितने लोग इस विषय पर बहस कर रहे हैं उनसे मैं एक प्रश्न पूछना चाहूँगा कि सलमान के साथ जो सही गलत हुआ वह तो न्यायालय के अध्यधीन ही हुआ ना ? कानून ने अपना काम कर दिया ना ? तो बस अब और बहस क्यों ??

शायद इसलिए तो नहीं कि आपको कानून रास नहीं आया ?? .. या आपको लगा कि कानून में लोचे हैं - या कानून वालों में लोचे हैं ??

यदि ऐसा है तो मित्रो आप को सलमान पर से ध्यान हटा अपनी संसद पर ध्यान केंद्रित करना पड़ेगा जहाँ कानून बनते हैं और बनने हैं .... और ये पुनरावलोकन करना होगा कि यहाँ कौन और कैसे सांसद बैठे हैं .... सूट-बूट वाले या सूझ-बूझ वाले - या ठेठ सांप्रदायिक या भ्रष्ट ????

पर हम ऐसा कर नहीं सकेंगे .... क्योंकि अभी-अभी तो हम अभिजीत के कुत्ते वाले घटिया बयान से बहस करते करते गरीब के उत्पीड़न की बड़ी-बड़ी बातें कर के फारिग ही हुए थे - कि एक बार फिर एक निहायत घटिया बयान आ गया है - जी हाँ सलमान के ही दोस्त जफ़र सरेशवाला ने कह दिया - "सलमान को मुसलमान होने की सजा मिली" .... अब ऐसे सांप्रदायिक बयान का निपटारा भी तो आवश्यक है .... है ना !!!!

तो मित्रो !! थोड़ा इंतज़ार और करें .... कुछ ये बिकाऊ और घटिया फूहड़ मीडिया सुधरे - कुछ हम और परिपक्व हो जाएं - तब शायद सामयिक चर्चाओं के साथ-साथ हम मूल समस्या पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकें - और एक अच्छी सरकार को चुन सकें जो जनता को 'स्मार्ट सिटी' के नाम से बेवकूफ बनाने के बजाय कुछ 'स्मार्ट कानून' बना सके .... स्मार्ट कानून जिनसे गरीब को भी न्याय मिल सके - ज़िन्दगी की लड़ाई में भले ही कोई पास हो या फेल - बेल सबको ३ घंटे में ही मिल सके - या फिर सीधे जेल - बिना कोई रेलमपेल !!!! है ना !!!!

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