Monday 18 May 2015

//// तो आ जाओ मैदान में - **केजरीवाल** तैयार है ....////


जब लोग ये बोलते हैं कि ये झगड़ा 'केजरीवाल' और 'उपराज्यपाल' के बीच का है - तो मैं पूछता हूँ कि क्यों नहीं बोलते ये झगड़ा 'मुख्यमंत्री' और 'उपराज्यपाल' के बीच का है ????
और अगर ये झगड़ा 'केजरीवाल' का ही बताना है तो मैं पूछता हूँ कि क्यों नहीं बोलते ये झगड़ा 'केजरीवाल' और 'नजीब जंग' के बीच का है ????

मैं बताता हूँ इसका कारण और इसके पीछ कि तुच्छ टुच्ची मानसिकता ....

यदि आप 'मुख्यमंत्री' बोलेंगे तो 'केजरीवाल' को गालियां कैसे देंगे ??
और यदि आप 'नजीब जंग' बोलेंगे तो उनके घटिया ट्रैक रिकॉर्ड को कैसे ढकेंगे ....

इसलिए कोशिश हो रही है कि 'नजीब जंग' को 'उपराज्यपाल' के संवैधानिक पद की गरिमा का कवच पहना दिया जाय ....
और इसके ठीक विपरीत 'केजरीवाल' पर से 'मुख्यमंत्री' के संवैधानिक पद के कपड़ों को नोच नोच कर बेतार कर दिया जाए ....

ये नंगे लोग और कर ही क्या सकते हैं - ये डरते हैं 'नजीब जंग' के व्यक्तित्व और उनके पक्षपात और उनके पद के दुरपयोग के बारे में बात करने से - डरते हैं ये बात करने में कि इसी 'नजीब जंग' ने भाजपा के एजेंट के रूप में काम करते हुए पूरे १ साल दिल्ली में चुनाव नहीं होने दिए थे ....

बहस करनी ही है तो क्यों नहीं दोनों के व्यक्तित्व के गुण-दोषों पर ही बहस की जाए - या फिर शुद्ध पद के विषयक ????

खैर ये लोग जो कर रहे हैं करने दें - क्योंकि केजरीवाल के पास 'मुख्यमंत्री' के कवच के अलावा एक और मज़बूत कवच है - और वो कवच है जनता के विश्वास का - उनकी ईमानदारी का .... और इसलिए 'केजरीवाल' को 'मुख्यमंत्री' के पद के पीछे मुहं छिपाने कि आवश्यकता भी नहीं है ....

तो आ जाओ मैदान में - **केजरीवाल** तैयार है ....

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