Friday 29 May 2015

//// हाय !! हम भी 'फीफा' में क्यों न हुए ....////


'फीफा' में करोड़ों का घोटाला हो गया - करोड़ों रूपए नहीं डॉलर .... षडयंत्र और भ्रष्टाचार के आरोप में फुटबॉल की वैश्विक संस्था के कई उच्च अधिकारियों को करोड़ों डालर की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया है .... यानि तय हुआ कि मामला बहुत मलाईदार था !!!!

हो सकता है गिरफ्तारी से वैश्विक अधिकारी डर सहम गए हों - पर भारतीय अधिकारियों को ये सब चीज़े अच्छे से हैंडल करना आता है ....

और इसलिए मैं ये सोच रहा था कि इस समाचार का असर वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा किस पर पड़ा होगा ????

मैं बताता हूँ .... इसका सबसे ज्यादा असर - पंवार, श्रीनिवासन, डालमिया, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी, जेटली, अनुराग ठाकुर, शशांक मनोहर, राजीव शुक्ला, कीर्ति आज़ाद, सिंधिया, मुथैया, लालू आदि ऐसे अनेक भारतीय नेताओं उद्योगपतियों पर पड़ा होगा और पड़ रहा होगा जिनको क्रिकेट से कुछ भी लेना देना नहीं था - पर - कुछ न कुछ तो लेना था ही जो ये हमेशा से यदाकदा अपनी टांग अड़ाए रहे .... या संभ्रांत भाषा में कहें तो ये अपना योगदान देते रहे - कुल योग दान लेते हुए .... बड़े आराम से .... 

ये लोग आज बहुत दुखी होंगे - कलप रहे होंगे - खिसिया रहे होंगे - पछता रहे होंगे - अपना माथा कूट रहे होंगे - कि क्या यार हम क्रिकेट के चक्कर में पड़े रहे और फुटबॉल में कहीं ज्यादा 'स्कोप' था .... करना तो वही कुछ था जो BCCI या ICC में रहते किया - फिर FIFA क्या बुरा था ????

खैर ऐसे सब महानुभावों को मैं सांत्वना देते हुए कहना चाहूँगा कि जो हुआ सो हुआ - बुरे स्वप्न जैसे इसे भुला दें - अब आगे की सोचें - देखें जो फीफा में पद रिक्त हुए हैं उन्हें कैसे पा सकें ....

यानि मेरा मतलब है - अब क्रिकेट का पिंड छोड़ें - अब फुटबॉल की ऐसी तैसी करें तो देश के करोड़ों फुर्सती क्रिकेट प्रेमियों पर बहुत बड़ा एहसान होगा .... !!!! धन्यवाद !!!!

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