Monday 11 May 2015

//// सक्षम लोगों का सबसे प्रिय डायलॉग - "कानून अपना काम करेगा" - क्यों ?? .... ////


अभी अभी सलमान खान के प्रकरण में कानून ने अपना काम किया था ....
एक बार फिर कानून ने अपना काम कर दिखाया .... जयललिता बरी हो गईं ....

मित्रो मुझे अब अच्छे से समझ आ गया है कि सक्षम लोगों का सबसे प्रिय डायलॉग - "कानून अपना काम करेगा" क्यों है ....

ऐसा इसलिए कि कानून 'अपना' काम करता है - सक्षम गुनहगार का काम तमाम नहीं .... यह कानून शायद सक्षम और कानून तोड़ने वालों के संरक्षण के लिए ही तो बना है - बनाया गया है - संशोधित किया गया है - संशोधित किया जाता रहेगा !!!!

मुझे आज तक समझ नहीं आया कि एक गरीब १०० रुपये की चोरी करता पकड़ा जाता है तो उसे पुलिस भी ठोकती है और उसे सजा भी होती है - क्योंकि कानून में ऐसा प्रावधान है कि कोई चोरी करे तो उसे सजा हो - सीधा सीधा प्रावधान - कोई उपधारा नहीं कि उसने चोरी क्यों की ? आदतन या मजबूरी में ??आदि !! .... पर पुलिस क्यों ठोकती है ?? अब छोड़िये इतनी मामूली सी बात को ....

पर जैसे ही ये चोरी करोड़ों की हो जाती है तो ऊँचे टुच्चे संभ्रांत व्यक्ति को सजा नहीं होती - क्योंकि तब उसके बचाव में कानून की धाराओं की उपधाराओं की कण्डिकाओं आदि के प्रावधान कि बाढ़ लगा दी जाती है - जैसे कौन से वित्तीय वर्ष में चोरी हुई और कब पकड़ाई - किसने पकड़ी - क्यों पकड़ी - पकड़ने वाले की हैसियत - उसकी क़ाबलियत - पेनल्टी के क्या प्रावधान - फिर सेटलमेंट, छूट, रिवीजन, अपील, बांड, अग्रिम जमानत - सिंगल बेंच डबल बेंच - फिर उसकी उम्र - उसकी सामाजिक स्थिति - फिर उसकी शारीरिक क्षमता - उसकी किडनी लिवर हार्ट लंग्स की स्थिति परिस्थित - जुर्म के बाद उसकी जिंदगानी - उसके कर्म सुकर्म - आदि इत्यादि !!!! और प्रकरण जुर्म का हो तो - साक्ष्य, साक्ष्य की स्थिति परिस्थिति, चश्मदीद, उसके चश्मे का नंबर उसके बाप का नाम, घटना का समय स्थान - आदि इत्यादि !!!!

और ऐसे प्रकरणों में कानून बेतहाशा काम करता है - कभी तो पल-पल और कभी सालों निरंतर - अथक - नए पुराने सही गलत सभी तरीकों से .... और पुलिस अभियुक्त को ठोंकने के बजाय उस संभ्रांत व्यक्ति को हज़ारों की तादाद में इकठ्ठा हो सामूहिक रूप से गरीब के दिए टैक्स रुपी पैसे से बचा रही होती है .... पर पुलिस ठोंकती क्यों नहीं है ?? अब छोड़िये इतनी बड़ी बात भी आपके समझ नहीं बैठती क्या ????

तो मित्रो मेरी बात का लुब्बेलुबाब ये है कि 'अपना काम करते कानून' के भरोसे अब और नहीं बैठा जा सकता - कानून को अपने हाथ में भी नहीं लिया जा सकता - तो फिर किया क्या जाए ????

मेरे अभिमत में अब कानून को 'अपना काम' करने से रोकना होगा - और बाध्य करना होगा कि कानून आपका और हमारा काम करे - हर गुनहगार को सज़ा दे - है ना !!!!

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