Friday 17 April 2015

//// हैल्लो मिस्टर ओबामा !! .... ज़रा लिमिट में ....////


खबर है - अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने टाइम मैग्‍जीन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ में लेख लिखा है - उन्हें भारत का रिफॉर्मर इन चीफ करार दिया है - लिखा है कि मोदी का भारत में गरीबी हटाने पर जोर है - वे गरीबी हटाने का अच्‍छा प्रयास कर रहे हैं - मोदी ने पहले चाय बेचकर परिवार को आगे बढ़ाया और अब देश को आगे बढ़ा रहे हैं - इसके अलावा डिजिटल इंडिया के जरिये भारत को आधुनिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं .... आदि !!!!

और अपनी तारीफ किए जाने पर मोदी ने ओबामा का शुक्रिया अदा किया है !!!!

पर मित्रो मैं कल्पना कर रहा था कि यदि कोई भी विदेशी हमारे देश के क्रियाकलापों के बारे में थोड़ा बहुत भी नकारात्मक कहता है या बिन मांगे कोई सलाह दे देता है जिसमें निंदा झलकती हो तो आपको तो मालूम है कैसा जवाब दिया जाता है .... ये हमारे आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप है जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे - बेहतर होगा आप अपने गरेबाँ में झांक कर देखे - हमें आपके सुझाव या सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है ....
अरे आपको तो याद ही होगा कि जब यहां से जाते-जाते ओबामा ने कुछ अनचाही सलाह दे दी थी तो बस ऐसे ही खिसियाए बयान ही तो चालू हो गए थे .... हैं ना !!!!

इसी कड़ी में मैं सोच रहा था कि .... ओबामा लिख रहे हैं कि - "मोदी का भारत में गरीबी हटाने पर जोर है - वे गरीबी हटाने का अच्‍छा प्रयास कर रहे हैं " .... पर मुझे तो अभी तक ऐसा कुछ भी नज़र नहीं आया - मुझे तो लगता है मोदी गरीबों के प्रति पूर्णतः असंवेदनशील हैं .... उनका प्रयास तो उद्योगपतियों की मदद करना और स्वयं को महिमामंडित करना है ....

इसी तरह ओबामा लिख रहे हैं कि - " मोदी ने पहले चाय बेचकर परिवार को आगे बढ़ाया और अब देश को आगे बढ़ा रहे हैं " .... पर मुझे तो अभी तक इत्तू सा भी अहसास नहीं हुआ या साक्ष्य नहीं मिले कि मोदी जी कभी चाय बेचते थे और चाय बेचकर परिवार को आगे बढ़ाते थे या फिर वो एक पारिवारिक मानव ही हैं .... जो व्यक्ति अपनी जवानी में अपनी सनक या महत्वाकांक्षा पूर्ण करने के लिए घरबार छोड़ के निकल जाय - या साल में एक आध बार अपनी माँ से मिले और उसे अपने साथ न रखे - या अपने भाई बहनों से कोई संवाद में हो ऐसा एहसास ही न होने दे - या फिर अपनी ब्याहता बीवी के साथ ही समाज के अनुरूप न्याय ना करे - तो उसे पारिवारिक मनुष्य तो दूर सामाजिक कहने या मानने में भी संकोच ही होता है .... और वो देश को आगे बढ़ा रहे हैं मुझे ऐसा भी नहीं लगता - बल्कि वो जब से सत्तासीन हुए हैं साम्प्रदायिकता बढ़ी है और समाज में विद्वेष और असुरक्षा की भावनाए बढ़ी हैं जिसके कारण मैं देश की अवनति ही देख पा रहा हूँ ....

अब जहाँ तक डिजिटल इंडिया के जरिये भारत को आधुनिक बनाने की कोशिश का प्रश्न है तो मुझे ना तो डिजिटल न मैकेनिकल न न्यूमेरिक न अल्फाबेटिक न वर्बल न रिटन - किसी भी क्षेत्र में मोदी प्रयासरत होते नहीं दिख रहे हैं - हां जो तकनीक उन्नत होने के कारण बदलाव हो रहे हैं वो तो हो ही रहे हैं !!!!

इसलिए अब आज मैं ओबामा को कहना चाहूँगा - ये झूठी तारीफ अपने पास रखें - मुझे मालूम है अगले वर्ष चुनावों के मद्देनज़र अमेरिका में रह रहे भारतियों के वोट अमेरिका की राजनीति में बहुत अहम हैं और शायद इसलिए नरेंद्र-बराक का संवाद चल रहा है ..... और हाँ !! याद रहे हमारे देश के आतंरिक मामलों में दखलंदाज़ी का प्रयास ना करें - हमारे देश के गरीब और गरीबी के बजाय आप अपने देश की समस्याओं पर ध्यान दें तो ही बेहतर होगा .... हमारे जले पर नमक ना छिड़कें - मोदी को रिफॉर्मर इन चीफ कहने के पहले जान लें कि जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं उन्हें यहाँ हिन्दुस्तान में लोग "फेंकू इन चीफ" बोल रहे हैं .... श्रीमान !! दूर के ढोल सुहावने होते हैं - या अंग्रेजी में जानें - ALL THAT GLITTERS IS NOT GOLD !! Got it Mr. Obama !!!!    

तो बताओ मित्रो !! निपटा दिया न मैंने ओबामा को एक मंजे हुए राजनेता की ही शैली में !!!!
आशा करता हूँ आपको मेरा कटाक्ष अच्छा लगा होगा - और कटाक्ष में शायद यथार्थ भी !!!!

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