Thursday 23 April 2015

//// सवाल एक और बस एक - केजरीवाल भाषण क्यों देते रहे ??....////


गजेन्द्र सिंह ने आत्महत्या कर ली - क्यों कर ली ?? .... शट अप !! क्यों कर ली अभी महत्वपपूर्ण नहीं !! बात अभी की ही की जाए ....
तो ठीक है - आत्महत्या  कर ली हज़ारों लोगों के सामने - और चूँकि ये हज़ारों लोग आप पार्टी के द्वारा आयोजित किसान रैली हेतु एकत्रित हुए या किए गए थे - इसलिए गजेन्द्र सिंह की हत्या का जिम्मेदार आप पार्टी को ठहराया गया है - और चूँकि आप पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल हैं इसलिए उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया गया है - और केजरीवाल पर लांछन लगाया गया है कि इस दुःखद घटना के होते ही रैली को समाप्त कर देना चाहिए था .... यानि यदि एक किसान रैली स्थल पर कुछ अव्यवहारिक कर रहा था तो केजरीवाल को त्रिनेत्र खोल समझ जाना चाहिए था कि ये आत्महत्या करेगा और केजरीवाल को रैली ख़त्म कर स्वयं सारा ध्यान उस व्यक्ति और उस घटना की तरफ लगा देना था - और बस किसानों के हक़ की बात जिसके लिए पूरी रैली का आयोजन किया गया था उसे बोलना ही नहीं था .... और इस प्रकार भाजपा सरकार को अभय दान दे उस किसान को बचा कर बस अपने घर निकल जाना था !!!!

पर चूँकि अरविन्द केजरीवाल ने ऐसा कुछ नहीं किया अतः केजरीवाल दोषी - और इसलिए देश के 'पहले' (??) किसान द्वारा दुःखद  आत्महत्या के लिए भाजपा प्रवक्ता डॉक्टर संबित पात्रा का ह्रदय विचलित हो गया और उन्होंने लगभग रोते विलाप करते हुए केजरीवाल का नाम लेकर खूब कोसा - और उस कोसने को राजनीति से ऊपर उठ कर मीडिया द्वारा उचित भी मान लिया .... और घटना के बाद आप के आशुतोष विश्वास और संजय सिंह द्वारा प्रतिकार में जो कुछ कहा गया उसे शर्मनाक बेहूदा बता नकार दिया गया ....

पूरा मुद्दा किसानों की समस्या संबंधित था - पर केजरीवाल द्वारा एक विपक्ष के नेता की हैसियत से किसानो के पक्ष में आवाज़ उठाने के उचित और न्यायपूर्ण कदम को इस तरह बदनाम कर दिया गया - या दुर्भाग्यवश बदनाम हो गया !!!!

और इसलिए मैं क्षुब्ध हूँ .... मैं दावे से कह सकता हूँ कि निरपराध केजरीवाल का तो जो राजनीतिक नफा नुकसान होगा वो होगा या ना होगा ..... पर इस देश में कल भी कोई किसान मजदूर और गरीब आत्महत्या  करेगा .... और शायद हर हत्या का दोषी केजरीवाल को ठहरा पाना इतना आसान भी नहीं होगा .... और इसलिए जैसे कि पूर्व में हज़ारों किसानों की आत्महत्या के लिए कोई दोषी रहा ही नहीं है वैसे ही आगामी आत्महत्याओं के लिए भी कोई राजनेता जवाबदार नहीं होगा !!!!

और इसलिए मैं व्यथित हूँ इस देश की राजनीतिक दिमागी बदहाली पर और 'प्रेसटीट्यूट' मिडिया की घिनौनी और दयनीय स्थिति पर !!!! आज लोकतंत्र ३ खम्बों पर खड़ा है .... और इन ३ खम्बों में भी कम ज्यादा क्रैक्स दिखते रहे हैं !!!! और शायद सबकुछ ठीक कर पाना एक केजरीवाल के लिए बहुत मुश्किल काम है - और एक से ज्यादा केजरीवाल मिलना भी मुश्कित ही हैं !!!!

पुनश्चः : - कल ही गजेन्द्र के घर भतीजियों की शादी थी जो अबाधित संपन्न करी गई - कल संसद की कार्यवाही अबाधित चलती रही जिसमें २ मिनिट के शोक या मौन की भी गुंजाईश नहीं रही - कल मीडिया अपना काम करता रहा - कल भीड़ भी भीड़ बनी रही - कल भीड़ में मौजूद किसान भी अपने साथी की बजाय मंच पर हो रहे भाषणों को सुनते रहे - भीड़ भी भाषण सुनती रही - मीडिया भी भाषण रिकॉर्ड कर प्रसारित करती रही - भाजपा सरकार अपना काम करती रही - कांग्रेस अपना काम करती रही - दिल्ली पुलिस अपना काम करती रही या नहीं करती रही - दिल्ली का जनजीवन अपनी दिनचर्या अनुसार ही चलता रहा - मंडिया अपना काम करती रही - खेत खलिहान अपनी दिनचर्या जीते रहे - राजस्थान और दौसा भी अपनी चाल चलता रहा ..... पर ऐसा तो होना ही था !!!! स्वाभाविकतः ऐसा ही तो होना था !!!! .... पर जो नहीं होना था वो तो बस ये कि - // अरविन्द केजरीवाल भाषण क्यों देते रहे ?? //

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