दिल्ली पुलिस भी गजब की कुशल है - भाई लोगों ने तुरंत पता लगा लिया कि गजेन्द्र ने उकसावे में आकर आत्महत्या करी थी ....
मित्रो मैं बहुत हैरान हूँ कि मनोविज्ञान के जटिलतम प्रसंग को दिल्ली पुलिस ने कैसे चुटकियों में सुलझा लिया है .... जबकि दूर बैठे परिवार वाले और वहां स्थूल रूप से उपस्थित मीडिया कर्मी अभी भी भेरू हैं कि आखिर हुआ क्या था ?? .... गजेन्द्र उकसावे में कब आना शुरू हुआ - क्यों शुरू हुआ ??.... क्या पहले भी वो कभी उकसावे में आया था या आ जाता था - या बस दिल्ली की हवा लगी - केजरीवाल के दर्शन हुए - और बंदा आ गया उकसावे में ?? .... और उकसित बन्दे ने वो कर दिया कि वो मर के भी अमर हो गया - टीवी पर छा गया - आत्महत्या कर के भी शहीद हो गया - किसानों के हितों की वाट लगाकर भी शहीद किसान हो गया .... और मर कर भी परिवारवालों को आर्थिक रूप से संपन्न कर गया !! .... और तो और इस देश की राजनीति को उथल पुथल कर गया - जो लोग किसानों की आत्महत्या के दोषी थे उन्हें हुंकार भरने का मौका दे गया - और जो किसानों की लड़ाई लड़ रहे थे उन्हें मिमियाने के लिए मजबूर कर गया - और जो किसान के विषय को दबाना चाहते थे उन्हें बड़बड़ाने के लिए उकसा गया !!!!
तो मित्रो आप सोच रहे होंगे कि - वाह ! उकसावे में भी क्या जबरदस्त दम है !! .. उकसाने से भी बहुत कुछ हो सकता है !! .... पर मित्रो मैं दावे से कह सकता हूँ कि ऐसा हमेशा नहीं होता ....
और मैं दावा इसलिय कर रहा हूँ कि लगभग ९-१० महीने हो गए मैं देश हित में कब से मोदी जी को उकसा रहा हूँ कि वो इस्तीफ़ा दे दें .... पर मोदी जी कोई बेवकूफ तो हैं नहीं जो मेरे उकसावे में आ जाएं .... वो तो बहुत समझदार हैं .... हैं ना !!!!
इसलिए मित्रो मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचता हूँ कि - गजेन्द्र एक समझदार व्यक्ति नहीं था .... और इसलिए मैं सोचता हूँ कि उसकी मौत का मुख्य कारण या तो उसकी मूर्खता थी या वो हालात जो 'समझदारों' द्वारा निर्मित किये गए थे उसके 'उकसने' के लिए ....
और हाँ मैं इस निष्कर्ष पर भी पहुंचा हूँ कि दिल्ली पुलिस भी शायद किसी उकसावे में आकर ही तो काम कर रही है - अजब गजब की दक्षता के साथ "उकसाने की थ्योरी" पर ????
No comments:
Post a Comment