Sunday 19 April 2015

//// मोदी को चुनौती ....////


लगभग १०-११ महीने के निर्विरोध राज करने के बाद ये शायद तीसरा मौका आया है कि मोदी को किसी अन्य द्वारा चुनौती मिली हो ....

पहला मौका था जब अरविन्द केजरीवाल ने उन्हें दिल्ली चुनाव में चुनौती दी थी ....
दूसरा मौका पेश किया मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने देश विरोधी क्रियाकलापों के द्वारा ....
और अब तीसरा मौका आया है जब राहुल गांधी ने उन्हें सीधे-सीधे चुनौती दी है .... अभी बात किसानों संबंधित मुद्दों के आसपास ही रखी गई है ....

विगत १०-११ महीनों में वैसे चुनौतियाँ तो मोदी को और भी मिलती रहीं हैं - पर वे चुनौतियाँ या तो मोदी ने स्वयं ही उत्पन्न करी थीं या उन्हें अपने लोगो द्वारा ही की गई करनियों के कारण प्राप्त हुई थीं .... और इस प्रकार की चुनौतियाँ अधिकतर "अनियंत्रित बोलने की बीमारी" की वजह से पेश आती रहीं हैं !!!!  

और मैं देख रहा हूँ कि अभी तक मोदी सभी चुनौतियों को पार पाने में असफल रहे हैं .... पूर्णतः असफल एवं निराशाजनक !!!!

किसी परिपक्व नेतृत्व का परीक्षण केवल तब ही हो पाता है जब यह देखने का अवसर प्राप्त हो कि वो चुनौतियों से कैसे निपटता है .... नहीं तो नसीब या योग-संयोग या तिकड़म से हासिल हुई जीत और सत्ता पर तो अपरिपक्व भी मज़े करते रहे हैं ....

और चूंकि चुनौतियों की तो अभी शुरुआत ही हुई है .... देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है ??
राहुल का अभी तक उपहास करने वाले मोदी जी व उनकी पूरी टीम यदि शहज़ादे राहुल के पहले वार से ही सकपका अपनी सफाइयां देने के लिए मजबूर हो गई हो - और थोड़ी चिंतित हो आगे की व्यूह रचना पर मनन करते दिखी हो - जैसे कि मोदी जी रंजे-मंजे सांसदों की क्लास ले उन्हें बताएँ कि आगे उन्हें किससे क्या बोलना है और क्या नहीं - तो यह सिद्ध करता है कि राहुल का तीर निशाने पर लगा है .... पप्पू की परिपक्वता के प्रदर्शन से लगता है अब फेंकू भी विचलित हो ही गए हैं !!!!

और इसलिए मुझे दिल्ली चुनावों में केजरीवाल के हाथों मोदी जी को मिली करारी कुरकुरी हार के बाद एक बार पुनः संतोष हो रहा है कि एक स्वस्थ लोकतंत्र में आवश्यक उपयुक्त विपक्ष एक बार फिर अपना स्थान बनाने की कोशिश कर रहा है .... जो एक शुभ संकेत है !!!!

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