कल दिनांक १४/०४/१५ को 'आप' पार्टी से निकले निकाले गए दो नेता योगेन्द्र यादव एवं प्रशांत भूषण के द्वारा उनके ही द्वारा की गई घोषणा अनुसार कुछ किये जाने का अनुमान है .... कुछ तो होगा - या कुछ तो भी होगा - या कुछ होगा ही !!!!
पर क्या होगा या किया जाएगा 'स्पष्ट' नहीं है !!!!
कुछ समय पूर्व योगेन्द्र द्वारा कार्यकर्ताओं को सर्वोच्च मानते हुए ये कहा गया था कि वो कार्यकर्ताओं को बुलाएंगे और जैसा कार्यकर्त्ता आदेश देंगे वो वैसा ही करेंगे ....
मुझे बहुत प्रसन्नता है कि जैसा योगेन्द्र ने कहा था अक्षरशः वैसी ही शुरुआत करी है .... और कार्यकर्ताओं को कल बुला लिया है .... सब एकत्रित हो रहे हैं !!!!
और अब अगली बात ये देखने की है कि ये कार्यकर्त्ता आखिर आदेश क्या देते हैं ?
मित्रो !! योगेन्द्र प्रशांत के असंतोष और विद्रोह का एक सबसे बड़ा कारण था 'आप' में 'पारदर्शिता' ना होना या खत्म हो जाना ....
तो इसलिए मेरी नज़र अब इस बात पर रहेगी कि आगे की सारी कार्यवाही कितनी 'पारदर्शिता' के साथ हम तक पहुंचती है .... और क्या १००% कार्यवाही मीडिया के कैमरों के सामने होती है ??
'पारदर्शिता' - 'खुल्लमखुल्ला' - 'स्पष्ट' - 'नंगाईयत' - 'सार्वजनिक' - 'गोपनीय' - आदि ऐसे कई शब्द हैं जिनके अर्थ एवं अनर्थ एवं भावार्थ आदि के बारे में मुझे तो काफी कुछ पता है - पर जिनको इस बारे में ज्यादा ज्ञान ना हो उन्हें मेरी सलाह है कि आप भी संपूर्ण कार्यवाही पर नज़र रखेंगे तो आपका भी ज्ञान वर्धन हो जाएगा - मसलन हो सकता है 'पारदर्शिता' या 'नंगाईयत' का सही-सही प्रायोगिक मतलब और आशय आपको कल ही समझ में आ जाए !!!!
खैर फिलहाल तो योगेन्द्र, प्रशांत और एकत्रित होने वाले कार्यकर्ताओं को यही कहूँगा .... गुडबाय !! गुडलक !!!!
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