Wednesday 22 April 2015

//// ख्वाजा के दर पर प्रधानमंत्री की चादर ....////


गरीब नवाज़ ख़्वाजा की दरगाह पर चादर चढाने का दस्तूर भी रहा है - रिवायत भी रही है - और ६७ साल हुए देश के हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई साथ-साथ भी रहे हैं ....

आशा है इस परंपरा के निर्वहन से भाईचारा कायम रहेगा ....
और सभी देशवासी इसका स्वागत करेंगे - विशेषकर हिन्दुओं के स्वयंभू विशिष्ट पैरोकार भी !!!!

पर मेरे ज़हन में एक और बात आ रही है - कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि भगवान, ईश्वर, अल्लाह, मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरद्वारे, मज़ार, साधू, पादरी, मौलवी आदि तमाम के सहभागिता, हस्तक्षेप, सहयोग या मध्यस्थता के बगैर भी हर इंसान भाईचारे के साथ स्वतंत्रतापूर्वक इज़्ज़त और सकून की खुशगवार ज़िन्दगी जी सके ????

व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है कि शायद ऐसा हो सकता है - बल्कि आज के परिप्रेक्ष्य में ज्यादा आसानी से हो सकता है - बल्कि यदि धर्म का बखेड़ा ना हो तो ऐसा होना स्वाभाविक ही तो होगा .... है ना !!!!

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