Friday 24 April 2015

//// केजरीवाल ने माफ़ी मांगी - ठीक है .... पर मीडिया को जो धिक्कारा है वो तो बहुत ज्यादा ठीक रहा ....////


आज केजरीवाल जी ने माफ़ी मांग ली - शायद वक्त का तकाज़ा था और मानवीय एवं राजनैतिक दृष्टि से उचित भी .... पर मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा !! और वो इसलिए कि केजरीवाल जी के ऊपर जितने भी आरोप लगे यदि वो सारे आरोप सही भी हों तो भी मैं उन्हें दोषी नहीं मानता हूँ ....

मैं आप से प्रश्न करता हूँ कि मान लें आपके घर में ही कोई समारोह है - ख़ुशी का मौका है - सब मेहमान आए हुए हैं - और इस बीच किसी भी एक व्यक्ति द्वारा मूर्खतावश कोई ऐसा कृत्य कर दिया जाता है या कोई दुर्घटना हो जाती है या कोई और व्यवधान उत्पन्न हो जाता है तो क्या उस ख़ुशी के समारोह को समाप्त कर विलाप शुरू कर दिया जाना चाहिए? और मेरा जवाब है कत्तई नहीं - दुःख सुख जीवन में लगे रहते हैं और इसलिए इन दोनों चीज़ों को अलग रख सकें तो कोई हर्ज़ नहीं है .... मसलन मेरे बेटे की शादी थी - और उसी दिन सुबह मेरे ताऊजी  का स्वर्गवास हो गया था - मुझे इसकी जानकारी नहीं दी गई और मेरे पूरे परिवार वालों ने सुबह उनकी अंत्येष्टि भी पूर्ण करी और फिर शाम को समारोह में शामिल भी हुए - सबका ये मानना था कि वो विवाह केवल मेरे परिवार से ही संबंधित नहीं था उसमें एक अन्य परिवार भी था - और समारोह हेतु बाहर से भी कई मेहमान आये थे और समारोह में भोजन आदि सभी व्यवस्थाएं पूर्ण हो चुकी थीं - आदि !!!! तब मेरे वरिष्ठ जीजा जी ने कहा था - ऊपर वाले ने एक भाई के यहाँ ख़ुशी दी है एक के यहाँ गमी - हमें तो दोनों को ही निभाना होगा !!!!
  
'आप' पार्टी एक छोटी और नई पार्टी है - जिसके पास सीमित संसाधन हैं - उस पार्टी द्वारा एक रैली का आयोजन किया जाता है जिसमें काफी समय और पैसा और पसीना लगा ही होगा - और जब सब ताम-झाम सज गया तब किसी एक व्यक्ति के अव्यवहारिक क्रियाकलापों के कारण पूरे समारोह को यदि  समाप्त नहीं करने का निर्णय लिया गया था तो वो निर्णय कदापि गलत नहीं था .... यह भी सोचना होगा कि जो अन्य लोग अपनी या किसानों की आवाज़ उठाने दूर दूर से अपना काम काज छोड़ कर उस रैली में पहुँच गए थे तो उनका क्या कसूर - वो किसी अन्य के कृत्यों के कारण अपने लक्ष्य से वंचित क्यों हो जाते ????

मुझे मालूम है कि आपके जीवन में और इस देश के राजनीतिक जीवन में भी ऐसे कई मौके आये होंगे के जब ख़ुशी त्यौहार के मौके पर अनहोनी के बाद भी ख़ुशी मनाने का सिलसिला रोका नहीं गया होगा ....

और ये मामला तो कोई व्यक्तिगत ख़ुशी के समारोह का मामला था ही नहीं - यह तो एक आयोजन मात्र था जो किसानों की लड़ाई लड़ने के लिए ही तो आयोजित था .... और यदि हादसे के बाद भी केजरीवाल या अन्य नेता भाषण देते रहे और भाषण में वही बोलते रहे जो उन्हें मूल रूप से बोलना था तो इतना हंगामा क्यों ?? वहां स्टेज पर कोई नाटक ऑर्केस्ट्रा या नाच गाने को प्रोग्राम तो हो नहीं रहा था ....

पर ये मीडिया - और मीडिया से अपनी मानसिकता ढालने वाले लोगों का तो कोई जवाब ही नहीं - पूरी बेशर्मी के साथ कोसते ही जा रहे है - पर शायद इन नालायकों के पास मेरे एक प्रश्न का जवाब नहीं होगा - और वो प्रश्न है ....

जब केजरीवाल या अन्य नेताओं द्वारा रैली को समाप्त किये बगैर भाषण बाज़ी चालू रखना गलत था तो उसी अनैतिक रूप से दिए भाषणों को मीडिया रिकॉर्ड क्यूँ कर रहा था - और साथ ही पहले उस आत्महत्या की फिल्म भी क्यों बनाता रहा था ????
यदि मीडिया अपना काम करता रहा था तो नेता भी अपना काम करते रहे थे - फिर इतनी चिल्लपों क्यों ????

और इसलिए केजरीवाल जी के द्वारा माफ़ी मांगने के साथ ही जिन शब्दों में मीडिया को धिक्कारा है उस वजह से मेरे मन को कुछ सुकून भी मिला है !!!! और इसलिए अन्त में यही कहूँगा - केजरीवाल जी मन छोटा न करें और डटे रहें - नंगों से क्या डरना !!!!

5 comments:

  1. in media walo se poocho ki jab mandal commision aandolan me rajeev goswami ne aatmdaah kar liya tha to kya V.P. Singh jee ne aandolan rok diya tha, & jab patna ki rally me modi jee ki rally me bomb visfot hua tha to Modi jee kyo Bhasaan dete rahe they, ye modibhakt media ko ye nahi dikhayee deta hai.
    last me kejriwaal jee aapke raste me aisey kai rukawate aayengi magar aap aage bhadte rahiye

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  2. जरुर डटे रहिये ... अपने घड़ियाली आंसुओं, निर्दयी अमानवीय अनैतिक आचरणों के साथ ... जहां तक मीडिया का सवाल है, वह किसी का उधार नहीं रखता ... मौनमोह्नों, मोदियों, अरविन्दों को तेज़ी के साथ ऊपर नीचे ले जाकर दिखानेवाले को 'धिक्कारने' की कीमत भी होती ...

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  3. Waah Brahm Prakash Dua ji aapka swach manobhaav se mera dukhit munn khil uttha ... jis saraltaa se aapnay pooray cheeze ko samjhaayaa ... main sochtay sochtay sochtaa hi reh gaya likh nahin paayaa mujhey bhi exactly yeh hi kehnaa thaa ... jo aapnay itna achchaa kahaa !! GANDI RAJNITI KARNAY WAALON KAA PARDAA PHAAAANSH TOH HO RAHAA HAI ...... SLOWLY AND SURELY !!!!! Make no mistakes !!!!

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