Sunday 26 April 2015

//// 'मन की बात' से भी किसान की बात नदारद .... आखिर क्यों ??....////


नेपाल भूकम्प के मद्देनज़र मोदी जी ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त करीं और कहा आज उनका 'मन की बात' करने का मन नहीं है ....

पर फिर भी उन्होंने आज के भूकम्प को अपने गुजरात के भूकम्प से जोड़ बात कही ....
फिर अपनी फ्रांस यात्रा का बखान कर वहां भारतियों के शहीद स्मारक पर जाने की बात कही ....
फिर भारत के "यमन" पराक्रम पर भी अपनी ठुकी पीठ पुनः ठोंकी ....
फिर अम्बेडकर जी से संबंधित उनकी जयंती उनके स्मारक और सर पर मैला ढोने वाली प्रथा विरूद्ध भी बात करी ....
और अंत में साइना और सानिया के खेल गौरव पर बात करते हुए क्रिकेट विश्व कप के सेमी-फाइनल में हार उपरांत जनता की घटिया प्रतिकिया पर बात करी !!!!

कुल मिलकर - मोदी जी ने वो सब कहा - जो कहा जा चुका था - और नेपाल भूकम्प पर जो कहा जा रहा है - या कहा जा सकता था ....

पर वो नहीं कहा जिस पर सब कुछ या बहुत कुछ कहना था .... और वो था - किसान बदहाली एवं किसान आत्महत्या के विषयक बात .... और किसान समस्या के प्रति सरकार की जवाबदेही, जवाबदारी, क्रियान्वयन और योजनाएं आदि विषयक अनेक आवश्यक बातें !!!!

मुझे निराशा हुई - कि प्रधानमंत्री के मन में अभी भी फ्रांस और यमन की बातें चल रही हैं - और नेपाल भूकम्प त्रासदी को लेकर तो बहुत संवेदनाएं हिचकोले खा रही हैं, पर उससे १०० गुना अधिक किसानों की त्रासदी संबंधित संवेदनाएं उनके मन से नदारद ही दिखीं ....

वो क्रिकेट टीम के हारने पर सबको असमय संयम का पाठ पढ़ाते नज़र आए - पर आत्महत्या करते किसान को ससमय पाठ पढ़ाने के लिए उनकी बुद्धि निरंक ही सिद्ध हुई ....

नेपाल भूकम्प को गुजरात भूकम्प और घेर-घार फ्रांस यमन की बात करने की चतुरता तो दिखाई - पर भूकम्प एक प्राकृतिक विपदा होने के मद्देनज़र, असमय बारिश और ओलावृष्टि को भी प्राकृतिक आपदा से जोड़, किसानों को ढांढस बँधाना नहीं सूझा - तो नहीं ही सूझा !!!!

मीडिया के प्रति भी टिप्पणी करना चाहूँगा कि कल दोपहर से ही भूकम्प पर ही लगातार कवरेज करने के बाद आज प्रधानमंत्री के रेडियो भाषण को टीवी पर सुनाना - और तब से अब तक कोई भी विज्ञापन पर कटौती न करते हुए अपनी-अपनी चैनल को सबसे तेज़ सबसे पहले सबसे आगे सबसे संवेदनशील बताते हुए - किसानों से संबंधित एवं अन्य सभी समाचारों को विलोपित कर देना भी एक चिंता का विषय है !!!!

मित्रो ! सबको चेताना चाहूँगा कि - हमारे प्रधानमंत्री जैसे ही यदि हम सबने भी किसानों की समस्या को नेपाल भूकम्प से कमतर आंक असंवेदनशीलता का परिचय दिया, तो यह एक बहुत ही बड़ी ऐतिहासिक भूल होगी !!!!

नेपाल भूकम्प तबाही में शिकार हुए सभी पक्षों को श्रंद्धांजलि देते हुए मेरा ये लेख - किसानों पर तरस खाते हुए - किसानों की वृहद विकराल समस्याओं को समर्पित !!!!

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