Saturday 25 April 2015

//// 'आत्महत्या' की तो हत्या ही करना होगी ....////


मित्रो बचपन से सुनते आये थे की आत्महत्या से बढ़कर कोई अपराध नहीं (Suicide is the biggest crime).
पर अब आत्महत्या को भी पुरुस्कृत महिमामंडित किया जाकर "शहीद" तक का दर्जा दिए जाने की वकालत हो रही है .... प्रसंग है दौसा वाले गजेन्द्र की आत्महत्या का - माफ़ करें गजेन्द्र द्वारा 'आप' रैली में करी या हुई आत्महत्या का ....

मित्रो दुनिया जो भी कहे या समझे या माने - मैं आज कुछ खुल कर स्पष्ट कड़वा लिखना चाहता हूँ ....
और वो ये कि गजेन्द्र या तो सनकी था या नौटंकीबाज़ था या बेवकूफ या कायर था .... और इसलिए मैं उसके किसी भी महिमामंडन या प्रशंसा के विरोध में हूँ ....

कहा जा रहा है उसे 'शहीद किसान' का दर्जा दिया जाए - दिल्ली में उसकी मूर्ती लगाई जाए - ऐसा सब क्यों किया जाए ? इसलिए कि उसने आत्महत्या कर ली ? .... यदि यही कारण है तो जो किसान मजदूर गरीब बेचारे अब तक आत्महत्या कर चुके हैं, उनकी तड़पती आत्मा पर नमक क्यों छिड़का जाए ??

और फिर मैं यह भी पूछता हूँ कि जो किसान दयनीय स्थिति में होते हुए भी आत्महत्या नहीं कर रहा है - बहादुरी से या कायरता नहीं बता ज़िंदा है - और कुछ बेहतर की आशा या प्रयास में ज़िंदा है - उसका क्या ?? .... क्या उसके बच्चों को भी यही चाहत नहीं हो जाएगी कि हमारे फालतू के पूज्य बापू भी एक दिन राहुल, मोदी, या केजरी की रैली में आत्महत्या कर पूरे परिवार को गौरवान्वित करें और गरीबी से मुक्ति दिलवा दें ????

"केजरीवाल" जी हाँ केजरीवाल एक ऐसा नाम है जो अब हिन्दुस्तान के राजनीतिज्ञों के लिए एक डरावना भयावह जानलेवा वायरस जैसा हो गया है - ये नाम लेते ही इन सबकी रूह कांप जाती है - और ये उसे परास्त करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं ....

अतः गजेन्द्र ने आत्महत्या कर ली केवल इसलिए नहीं - बल्कि गजेन्द्र ने केजरीवाल की रैली में उसकी उपस्थिति में आत्महत्या कर ली इसलिए - आज "आत्महत्या" पुण्य हो गई - अमर हो गई - शहीदी हो गई - लाखों रूपए मूल्य की हो गई - मूर्ती के लायक हो गई - सरकारी नौकरी दिलाने के लायक हो गई - और न जाने क्या क्या !!!!

पर कल जब मेरठ के योगेन्द्र ने टंकी से कूद कर सैकड़ों लोगों और अधिकारियों के समक्ष आत्महत्या का वही "महान" कार्य कर दिखाया तो .... तो क्या ? कुछ नहीं ? मर गया तो मर गया साला - मरने दो - दे दो २-४ लाख जनता के पैसे - पहले भी ऐसे कई मरे - आगे भी मरेंगे तो क्या सबको शहीद मानेंगे - सबकी मूर्तियां लगाएंगे ? असंभव ! हाँ केजरी के मत्थे मरता तो एक बार सोचते !!!!

नहीं मित्रो नहीं ये सब नहीं चलेगा - इस पूरी बकवास को रोकना होगा - गजेन्द्र और सभी आत्महत्या करने वालों की निंदा और भर्त्सना करनी ही होगी - ताकि आत्महत्या करने वाले को भी ये गुमान न हो कि उसकी आत्महत्या करने से उसके परिवार का भला होगा !!!!

मित्रो !! हम सब को मिलकर "आत्महत्या" की हत्या करना ही होगी !!!!

किसी की भावनाओं को यदि ठेस पहुंची हो तो विनम्र अनुरोध करूंगा कि ठंडे दिमाग से मेरी भावनाओं को एक बार पुनः समझने का प्रयास करें और यदि ना समझ पड़े तो फिर से प्रयास करें और करते रहें - पर झुँझलायें ना - गुस्सा ना करें - और आत्महत्या की तो कदापि ना सोचें - आगे आएं और बहस करें और अपनी बात रखें - मेरी निंदा करें !!!! धन्यवाद !!!!

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