मीडिया का कल का सवाल था - केजरीवाल भाषण क्यों देते रहे ??
मीडिया का आज का सवाल है - क्या 'आप' पार्टी वाले गजेन्द्र को आत्महत्या के लिए उकसा रहे थे ??
मित्रो मैं सोच रहा था कि जब पूरा मीडिया वहां था - लाइव कवरेज हो रहा था - फिर जो मीडिया इतनी बहस कर और करवा रहा है - अपने आप को पाक साफ़ निष्पक्ष बता रहा है - तो फिर वो ही सारे जवाब जनता के समक्ष क्यों नहीं रख सकता ????
इसलिए मैं भी आज सार्वजनिक रूप से प्रबुद्ध मीडिया से टुच्चे सवाल या यूं कहें टुच्चे मीडिया से प्रबुद्ध सवाल पूछता हूँ >>>>
>> मीडिया स्वयं क्यों नहीं बता सकता कि 'आप' पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा या वहां मौजूद अन्य व्यक्तियों द्वारा गजेन्द्र को उकसाया गया था कि नहीं ??
>> क्या वहां पुलिस मौजूद थी या नहीं ??
>> क्या पुलिस को मौकाए वारदात पर पहुँचने से रोका गया था या नहीं ??
>> क्या फायर ब्रिगेड की सीढ़ी वाली गाडी वहां पहुंची थी या नहीं ??
>> क्या सारे मीडिया वाले वहां भुट्टे सेंकने गए थे या लाइव कवरेज करने ??
>> क्या भारत की मीडिया को किसी महत्वपूर्ण घटना का लाइव कवरेज करने की तकनीकी या व्यावसायिक या पेशेवर योग्यता है कि नहीं - कि बस एक कैमरा या एक माइक हाथ में ले "साला में तो साब बन गया" ??
>> या कहीं ऐसा तो नहीं कि उनकी और उनके फुटेज की खरीद फरोख्त हो गई हो ??
>> या ऐसा तो नहीं पुलिस या सरकार के दबाव में आकर बोलती बंद है ??
>> या ऐसा तो नहीं सत्य बताने में डर लगता है ??
>> या फिर ऐसा तो नहीं कि सब तथ्य जानते हुए भी आप सबके मज़े ले रहे हैं - अपनी चैनल पर ख़बरों को नमक मिर्ची लगा मनोरंजक बना दिखा-दिखा अपनी कमाई कर रहे हैं - सत्य और जनता जाए भाड़ में ??
हो किसी मीडिया चैनल में हिम्मत तो उपरोक्त प्रश्नों के जवाब आज ही अपने-अपने टीवी पर देने कि हिम्मत करे !!!!
या मान लेवें - आप सब अंधे हैं आपने कुछ नहीं देखा - आप बहरे हैं आपको कुछ सुनाई भी नहीं दिया - आप गूंगे हैं बोलेंगे तो बिलकुल भी नहीं !!!! या इतने लंबे वक्तव्य ना दे सकें तो बस इतना मान लीजिये कि आप टुच्चे हैं !!!!
#AAPKisanRally #22april #AAPWithFarmers #PaidMedia #ShameOnDelhiPolice
अपनी आँखों के सामने लाचार किसान मर रहा था, उसे देखते रहे, भाषण देते रहे, करते रहे अपनी घटिया राजनीति वे हुकुमशाह नेता ... वे एक के बाद एक गलतियां, अपराध और अब पाप करते जा रहे ... लेकिन अपने बिगड़े दिमाग नेताओं का कमज़ोर बचाव कब तक करते रहेंगे अंधभक्त ...क्या अंधभक्त भी सहभागी होना चाहते उनके कारनामों में ...
ReplyDeleteएक सवाल : पुलिस किसके लिए होती है ? पुलिस का क्या दायित्व है? क्या बिना FIR पुलिस हिलती भी नहीं है ? क्या इतनी बड़ी रैली का बंदोबस्त करने वाली पुलिस मात्र डंडे और हथियार लेकर ही चलती है ? जबकि वाही पुलिस एक VIP के पीछे दल बल , सुरक्षा वाहनों तथा एम्बुलेंस आदि के साथ चलती है जहाँ किसी अनहोनी के चांस ना के बराबर होते है और जहाँ कोई भी अनहोनी के १००% चांस होते है वहां सुरक्षा के नाम पर लाठी और डंडे लेकर चलती है यहाँ तक की वाटर कैनन भी साथ लेकर चलती है फिर वहां एम्बुलेंस और फायर फाइटर का इंतजाम क्यों नहीं किया गया? क्या पुलिस की ट्रेनिंग इतनी लचर और वाहियात है श्री राजनाथ सिंह जी केवल राजनीति करना जानते है मोदी जी डिजिटल भारत का जूमला कहते नहीं अघाते जिनकी पुलिस को मूलभूत जिम्मेदारियों का ही नहीं पता. ३१ टी वी चैनल के लोग वहां थे जिनकी कुल संख्या ९३ से कम तो नहीं होगी य्स्दी वहां भगदड़ मच जाती तो ये लोग क्या करते ? अपनी जान बचाते या तब भी कैमरे से वीडियो और खबर बनाते रहते. आपको भासन तो सुनाई दे रहा है पर मंच से कुमार विशवास के वे शब्द नहीं सुनाई दे रहे जिसमे पुलिस को मदद के लिए कहा जा रहा है माना कि मीडिया अपना काम कर रहा था पर पुलिस, क्या वो भी अपना काम कर रही थी ? इस प्रकार तो जो भाषण दे रहे थे वो भी तो अपना ही काम कर रहे थे अकेले उनको क्यों दोषी माना जा रहा है
DeleteWell and appropriately analysed .... Thanks.
DeleteWell and appropriately analysed .... Thanks.
Deleteनेता तो भाषण छोड उसे बचाने की अपील कर रहे थे। पुलिस वाले तमाशा देखते रहे। भाजपा नेता का भाई गेस्ट टीचरों को लेकर अरविन्द का विरोध कर रैली को डिस्टर्ब करा रहा था। मीडिया तो रैली को कहीं दिखा भी नहीं रहा था बस शुरू में चटखारे ले लेकर कम भीड का प्रचार कर रहा था जो घटना के बाद 40000 की भीड के सामने घटना घट जाना बताने लगी। बेशर्म भाजपा सरकार और मीडिया है।
ReplyDeletetruly said Sir ! Thanks.
Deleteमीडिया इन सवालो के जवाब नहीं देगा क्योंकि आका ने मना किया है
ReplyDeleteYou are right Sir !
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