Tuesday 28 April 2015

//// "खान" से "कान्ह" .... ४०० करोड़ का करंट !!....////


मैं इंदौर का मूल निवासी हूँ और इंदौर में बहने वाली एक नदी 'खान नदी' के पास ही रहता आया हूँ - और वर्षों से नदी को "खान" के नाम से ही सुनता आया हूँ - और किसी अन्य नाम से नहीं !!!! .... यहाँ तक कि ८० के दशक में इस नदी के ऊपर बनाए गए पुल का नाम भी "खान सेतु" ही था जिसके सर्वे एवं निर्माण में सिविल इंजीनियर की हैसियत से मेरा भी थोड़ा सा योगदान था !!!! और इसी नदी पर छावनी क्षेत्र में वर्ष २००५ पर बने एक और पुल का नाम भी "छावनी ब्रिज ओवर खान रिवर" ही कहलाया !!!!   

जैसा कि हिन्दुस्तान में नदियों की दुर्दशा होती आई है - इस खान नदी की भी वाट लग चुकी है - और यह एक गंदे नाले में बदल चुकी है ....

और जैसा कि हिन्दुस्तान में होता आया है इस नदी पर भी कई वर्षों से योजनाएं बनती रहीं - योजनाओं के नाम में पुनरुद्धार - गहरीकरण - सफाई - निर्मल - सौंदर्यीकरण - आदि जैसे विशेष प्यारे-प्यारे शब्दों का उपयोग होता रहा - भारी खर्चे भी होने ही थे और होते रहे .... पर जैसा होना था नदी भी बदतर होती रही .... और इसे "खान नदी" के अलावा "खान नाला" भी कहा जाने लगा !!!!

पर जब से मोदी जी आए हैं - गंगा सफाई की बात जोर शोर से होने लगी - और देखते देखते नदियों की सफाई की बातें चर्चा में आने लगीं - और इस हेतु प्रयास भी शुरू हुए ....

इसी कड़ी में खान नाले में बदल चुकी इस नदी को उसका पुराना वैभव लौटाने हेतु केंद्र सरकार ने पहले चरण में 400 करोड़ रुपए मंजूर कर दिए हैं .... स्वाभाविक रूप से इंदौरियों में तो एक करंट सा दौड़ गया है - आखिर ४०० करोड़ जो मंजूर हुए हैं ....

पर मित्रो मैं देख रहा हूँ कि - केंद्र में भाजपा की सरकार - मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार - नगर निगम  में भाजपा  - यानि सब दूर भाजपा ही भाजपा .... तो फिर आप कल्पना करें कि "खान" शब्द कैसे बर्दाश्त होता ????

और जनाब देखते ही देखते .... "खान" शब्द की जगह "कान्ह" शब्द का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है .... अभी तक "खान नदी" नाम से जानी जाने वाली ये नदी "कान्ह नदी" भी कहलाने लग पड़ी है .... और जैसा हमेशा से होता आया है कल ही पैदा हुए इतिहास के ठेकेदार बिना किसी पुख्ता मान्य सबूत के दावा करने लग पड़े हैं कि पहले से ही इस नदी का नाम "कान्ह नदी" था वो तो अपभ्रंश हो हो हो कर "खान नदी" हो गया था ....

पर सत्य और प्रथा और प्रचलन भी एक झटके में तो बदलता नहीं है - और इसलिय आज भी इंदौर के समस्त अखबारों में इस नदी का नाम कभी "खान" और कभी "कान्ह" के नाम से छप रहा है ....
और कन्फ्यूज़न इतना है कि ठेठ इंदौरी भी पूछने लगे हैं - ये "खान" और "कान्ह" नदी एक ही हैं या अलग अलग ????

मित्रो !! मेरे हिसाब से तो उपरोक्त नाम परिवर्तन संकीर्णता की पराकाष्ठा है - औए इसलिए मैं इसकी निंदा करता हूँ .... पर मेरी निंदा से क्या होना है .... महत्त्वपूर्ण तो यह है कि आखिर इस इंदौरी नदी का भविष्य क्या होना है ??

मेरे हिसाब से तो - क्या तो मोदी सरकार और क्या तो गंगा और क्या तो खान - इन सभी का वैभव लौट कर आने वाला नहीं है .... और इसलिए देखने वाली बात तो बस अब यह रहेगी कि ४०० करोड़ निपटाने के बाद भी यदि ये इंदौरी नदी पुराने वैभव को प्राप्त न कर सकी तो भी क्या इसे "कान्ह नदी" ही कहा जाएगा या पुनः मूलतः "खान नाला" ????

और इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात होगी कि यदि शाहरुख़ खान कि 'घर वापसी' करवा दी जाती है तो क्या उन्हें भी "शाहरुख़ कान्ह" कहा जाने लगेगा ????

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