Friday 24 April 2015

//// ये कैसा साथ ये कैसा सहयोग ?? .... भगवान ही बचाए....////


कुछ दिन पहले केजरीवाल को साथ देने का दंभ भरने वाले योगेन्द्र सामने आये थे - और उन्होंने साथ देते-देते वो सब किया कि ऐसा साथ लेने से केजरीवाल ने तौबा कर ली - और जैसे तैसे उस साथ से अपना पिंड छुड़ाया ....

और अब केजरीवाल को सहयोग करने दिल्ली किसान रैली में पहुंचे स्व. गजेन्द्र का मामला सामने आया है - जनाब अपने घर में शादी ब्याह आदि सभी आयोजन छोड़कर २५० कि.मी. दूर अपने खर्चे पानी से किसान हित में केजरीवाल की रैली में अपना सहयोग देने के अच्छे उद्देश्य से दिल्ली पहुंचे - पर वहां पहुँच उन्होंने वो सब अप्रत्याशित किया जो वहां हज़ारों की संख्या में मौजूद और सहयोग दे रहे अन्य लोगों ने नहीं किया - और ना जाने उन्होंने क्या किया या उनके साथ क्या हुआ कि उनकी दुःखद मृत्यु तक हो गई ....

पर बड़ी अजीब बात है कि मृतक का पूरा परिवार मृतक को पूरे घटनाक्रम का दोषी नहीं मान रहा - मृतक के अप्रत्याशित नौटंकी भरे क्रियाकलापों को दोषी नहीं मान रहा - वहां उपस्थित हज़ारों लोगों को दोषी नहीं मान रहा - पर अब सब अपनी सहूलियत भड़ास और राजनीति के हिसाब से केजरीवाल को ही दोषी आरोपित कर रहे हैं .....

ये ऐसा ही कुछ हुआ कि कोई व्यक्ति अपनी गलती से किसी वाहन के नीचे आकर दम तोड़ दे और कुपित भीड़ वाहन चालक और वाहन को ही क्षत विक्षत कर दे .... मित्रो इस उदाहरण की कल्पना जरूर करिएगा !!!!

पर मैं ऐसे घिनौने आरोप का पुरज़ोर विरोध करता हूँ - और कहना चाहूँगा कि ऐसे सहयोग का क्या औचित्य कि जिस मुद्दे या जिस व्यक्ति या जिस संस्था का आप सहयोग करने की इच्छा या इरादा या उद्देश्य रखते थे - आपकी नादानी के कारण या आपके अप्रत्याशित व्यवहार के कारण वाट उसी की लग गई !!!!

ये ऐसा ही कुछ हुआ कि आप बाराती बन शादी में गए - पर विवाह समारोह में पहुँच ऊटपटांग हरकत कर बैठे और फिर वहां लड़की वालों से खुद भी पिटे दूल्हे और दूल्हे के बाप को भी पिटवाया और पूरी बारात की भद्द पिटवा बैरंग घर को लौट गए !!!! 

मित्रो !! सुना हुआ था कि "बेवकूफ दोस्त से समझदार दुश्मन भला" .... या "नादान की दोस्ती जी का जंजाल" ....

पर आज मैं अपने व्यक्तिगत जीवन हेतु एक और बात सीखा हूँ - दोस्ती तो दूर की बात किसी भी अंजान या संदेहास्पद या अव्यवहारिक व्यक्ति का जहाँ तक हो सके क्षणिक साथ या सहयोग भी नहीं लेना चाहिए ....

पर इसके साथ-साथ यह भी साफ़ कर दूँ कि ये बात केवल एक अपने सीमित दायरे में जी रहे मेरे जैसे स्वार्थी व्यक्ति के लिए तो उपयुक्त हो सकती है - पर जो व्यक्ति सार्वजनिक जीवन में हो उसके लिए ऐसा कर पाना असंभव है ..... और इसलिए मैं ऐसे व्यक्ति के लिए तो यही कहूँगा कि उसे तो भगवान ही बचाए ऐसे साथ और ऐसे सहयोग से !!!! ऐसे योगेन्द्र और गजेन्द्र से !!!!

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