Monday 27 April 2015

//// और आखिरकार ये सरकार तो 'जोकपाल' से भी डर गई ....छिः ....////


कृपया विदित हो कि इस देश में एक कानून पास हुआ था - नाम था 'लोकपाल' - जी हाँ लोकपाल - वही  'लोकपाल' अन्ना बेदी वी.के.सिंह वाला लोकपाल .... जिसे केजरीवाल ने बहुत ही लचर लचीला बताते हुए 'जोकपाल' बताया था ....

और इस कानून को पास करते कराते समय बहुत से राजनेताओं और विभूतियों ने जो केजरीवाल के विरुद्ध थे बहुत दम्भ भरा था .... और इसे 'मील का पत्थर' बताया था ....

इसी लोकपाल कानून के तहत केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अपनी और अपने जीवन साथी तथा आश्रित बच्चों की संपत्ति का ब्यौरा दाखिल करना अनिवार्य बनाया गया था .... और मुझे याद है कि उपरोक्त कानूनी प्रावधान के लिए सभी ने अपनी और साथ देने वालों की पीठ थपथपाई थी ....

इस कानून के तहत ही सर्वप्रथम वर्ष 2014 के लिए रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 15 सितंबर नियत की गई थी ....
पर फिर इसे 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया था ....
और फिर तीसरी बार इसे 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया था ....
लेकिन अब इसे चौथी बार 15 अक्तूबर तक बढ़ा दिया गया है ....

मित्रो मैं प्रश्न उठाता हूँ कि ऐसा क्यूँ किया गया था या क्यों किया गया है ??
क्या उपरोक्त रिटर्न फाइल कराने के कानूनी प्रावधान का मकसद कर्मचारियों के भ्रष्टाचार को उजागर करना या रोकना नहीं था ??
तो क्या मोदी सरकार अब यह चाहती है कि भ्रष्टाचार तत्काल ख़त्म ना हो ??
या मोदी सरकार चाहती है कि अभी तो कोई चुनाव-वुनाव हैं नहीं - तो अपन भी एक दो साल माल सुताई कर लो - फिर इसे लागू कर देंगे ??
या फिर डर है कि यदि हमने कर्मचारियों पर सख्ती कर दी तो वो बदले में हमारा भण्डा ही न फोड़ दें ??
या फिर चहेते कर्मचारियों को समय दे दिया गया है कि रिश्वत और भ्रष्टाचार से कमाए गए सारे धन और सारी संपत्ति को ठिकाने लगा लो - हमारा हिस्सा हमें दे दो ??
और प्रश्न तो ये भी उठता है कि अन्ना, बेदी, और वी. के. सिंह अब चुप क्यों हैं ??

मित्रो ! जो लोग बातें बड़ी-बड़ी करते है पर करते कुछ नहीं ऐसे मोदी जी जैसे व्यक्तियों पर ऐसे ही कारणों के रहते शंका होती है .... ये लोग अपने से संबंधित और अमीरों तथा साधन सम्पन्न लोगों से संबंधित निर्णय लेने में तो १ दिन का समय भी नहीं लगाते - पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध या गरीब के हक़ में लेने वाले निर्णयों की वाट लगा मारते हैं ....

मसलन भूमि अधिग्रहण बिल को नए रूप में पास कराने के लिए कैसे मरे जा रहे हैं - पर जो कानून बन चुका है और जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगना तय है उसे टाले जा रहे हैं - पूरी बेशर्मी के साथ अकारण ही टाले जा रहे हैं !!!!

और इसलिए मैं ये स्पष्ट देख पा रहा हूँ कि आखिरकार ये सरकार तो 'जोकपाल' से भी डर गई .... और अब यह भी बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि ये सब 'लोकपाल' का विरोध क्यों कर रहे थे - और इन्हें 'लोकपाल' से भी ज्यादा डर 'केजरीवाल' से क्यों लगता है !!!!

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